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ग्वालियर में अधिकांश अस्पतालों में आयुष्मान के नियमों का नहीं हो रहा पालन

मरीजों को नि:शुल्क उपचार के लिए होना पड़ रहा परेशान

Update: 2024-04-22 00:30 GMT

ग्वालियर।  मरीजों को निजी अस्पताल में भी नि:शुल्क उपचार मिल सके। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा आयुष्मान योजना संचालित की जा रही है। जिसके अंतर्गत मरीज पाच लाख तक का उपचार नि:शुल्क करा सकता है। लेकिन जिले में आयुष्मान योजना के अंतर्गत पंजीकृत अधिकांश निजी अस्पतालों में आयुष्मान के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जिस कारण मरीजों व उनके पजिरनों को परेशान होना पड़ रहा है।

दरअसल जिले में 65 छोटे-बड़े निजी व शासकीय अस्पताल ऐसे हैं, जहां आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीज भर्ती होकर उपचार करा सकते हैं। लेकिन अधिकांश अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत उपचार दिया जाता है इस तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा हुआ है। इसी तरह अस्पतालों में आयुष्मान मित्र भी नहीं बैठते। जबकि नियम अनुसार अस्पतालों में आयुष्मान मित्र आश्यक रूप से मौजूद रहना चाहिए। आयुष्मान मित्र मरीज की भर्ती प्रक्रिया पूरी कराने से लेकर परिजनों को जानकारी भी उपलब्ध करता है। इसके अलावा कितनी बीमारियों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत उपलब्ध है, इसकी जानकारी भी अस्पतालों में चस्पा नहीं है। ऐसे में कई मरीजों को आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी उपचार के लिए शुल्क देना पड़ता है। यह स्थिति तब है जब सीएमएचओ डॉ. आर.के. राजौरिया द्वारा कई बार निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर आयुष्मान के निमयों का पालन करने के निर्देश दे चुके हैं। लेकिन ठोस कार्रवाई न होने पर अस्पताल संचालक अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं।

कई मरीजों से जमा करा लिए जाते हैं पैसे

जिले में आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत अधिकांश अस्पतालों में रात के समय अगर कोई आयुष्मान कार्डधारी मरीज उपचार के लिए पहुंचता है तो उसे या तो सुबह आने के लिए कहा जाता है या फिर पैसे जमा करने की बात कही जाती है। जिस कारण कई मरीजों को उपचार के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।

भर्ती होने के पहले व छुट्टी के बाद का नहीं जोड़ते खर्चा

आयुष्मान योजना में स्पष्ट उल्लेख है कि मरीज का कार्ड जिस दिन लगाया गया है, उस दिन के सात दिवस पहले की जांचे व अन्य खर्चे एवं छुट्टी होने के दस दिन बाद की दवाएं व चैकअप के खर्चे को आयुष्मान में ही जोड़ा जाए। लेकिन अधिकांश अस्पतालों में इन नियम का पालन ही नहीं किया जाता और मरीजों के जेब से पैसे भरवा लिए जाते हैं।

अवकाश के दिन नहीं मिलता उपचार

निजी अस्पतालों के अलावा शासकीय अस्पतालों में भी आयुष्मान कार्डधारी मरीजों को उपचार के लिए परेशान होना पड़ता है। जयारोग्य चिकित्सालय समूह की ही बात करें तो यहां अवकाश के दिन आयुष्मान के मरीजों को उपचार नसीब नहीं हो पाता। क्योंकि अवकाश के दिन आयुष्मान काउंटर बंद ही रहता है और दवाएं भी नहीं मिल पाती। जिसको लेकर कई बार चिकित्सक भी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं।

निजी अस्पतालों में अगर आयुष्मान के नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. आर.के. राजोरिया

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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