ग्वालियर, न.सं.। जीवाजी विश्वविद्यालय के आला अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर आदेश निकाल रहे हैं। चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए पिछले दिनों आदेश निकालकर सेवानिवृत प्राध्यापकों को समन्यवक व उप समन्व्यक बनाया गया है। जबकि अध्यादेश में स्पष्ट उल्लेख है कि नियमित शिक्षकों की भांति सेवानिवृत्त शिक्षकों को कोई लाभ नहीं दिया जा सकता। इसे लेकर नियमित शिक्षकों व कार्यपरिषद सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई है।
विवि प्रशासन ने 25 अगस्त को एक आदेश जारी किया है। जिसमें उल्लेखन किया गया कि कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के आदेशानुसार सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. एके जैन, प्रो. एके श्रीवास्तव, प्रो. डीसी तिवारी, प्रो. आरपी पाण्डे, प्रो. एके हल्वे, प्रो. यूपी वर्मा और प्रो. पी राजाराम को विभाग/पाठ्यक्रम का समन्वयक और उप-समन्वयक नियुक्त किया जाता है। जबकि विवि के अध्यादेश 4 सी और 4 डी में स्पष्ट उल्लेख है कि नियमित शिक्षकों की भांति सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को कोई लाभ नहीं दिया जा सकता। इतना ही नहीं सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को विभागाध्यक्ष, समन्वयक, वित्तीय एवं प्रशासन का भी प्रभार नहीं दिया जा सकता है। इसके बावजूद भी विवि के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रख सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को समन्वयक बना दिया है। सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को समन्व्यक बनाए जाने से नियमित शिक्षकों में रोष है। उनका कहना है कि विवि प्रबंधन उनके साथ भेदभाव वाला रवैया अपना रहा है। जो कि ठीक नहीं है।
इनका कहना है
प्रशासन ने क्या आदेश निकाला है इसे दिखवाया जाएगा। यदि नियमों का उल्लंघन किया गया है तो इस संबंध में आला अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।
-वीरेन्द्र गुर्जर, कार्यपरिषद सदस्य, जीवाजी विश्वविद्यालय