छिंदवाड़ा, 21 जून। मुख्यमंत्री कमलनाथ जब सांसद थे, तब उनका गोद लिया गांव बीसापुरकला आज पेयजल संकट से जूझ रहा है। यहां के लोग पीने के पानी को मोहताज हैं। आदर्श गांव बीसापुरकला में पानी के लिए हाय-तौबा मची हुई है। 30-40 दिन के अंतराल में बमुश्किल लोगों को पीने का पानी नसीब हो पा रहा है। सांसद के आदर्श ग्राम में जब ऐसी स्थिति है, तो जिले के अन्य गांवों के हालात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
30-40दिन बाद आधा घंटा सप्लाई
बीसापुरकला गांव के राजकुमार कोचे, भाऊराव भोजे सहित गांव के सरपंच महेश बनवारी बताते हैं कि जलस्तर नीचे चले जाने से दम तोड़ रहे बोर एक घंटा चलता है, उससे प्रतिदिन कुएं में पानी भरकर पाइपलाइन के माध्यम से सप्लाई की जाती है। वैसे तो हर दिन पाइपलाइन चालू की जाती है, लेकिन गांव के प्रत्येक वार्ड के लोगों को 30 से 40 दिन में एक बार बारी-बारी से पानी दिया जाता है। ग्रामीणों की मानें तो आधा-पौन घंटे के समय में वे सिर्फ तीन से चार दिन के गुजर-बसर का ही पानी भर पाते हैं। पानी खत्म होने के बाद ग्रामीण एक किलोमीटर का सफर तय कर बैलगाड़ी और अन्य संसाधनों से पानी भरकर लाते हैं।
खरीदकर ला रहे पानी
30 दिन में एक बार पानी नसीब होने के कारण ग्रामीण पीने और नहाने-धोने के लिए 500 रुपये खर्च कर टैंकर से पानी बुला रहे हैं। पानी की समस्या के चलते ग्रामीण पिछले दो साल से जिला प्रशासन को आवेदन कर चुके हैं कि उनके गांव को पानी के अलावा कुछ नहीं चाहिए, बावजूद इसके प्रशासन अनदेखी कर रहा है। कहने को गांव को सांसद निधि से एक पानी का टैंकर भी दिया गया है, लेकिन उसके संचालन के लिए भी सरकारी बजट और पीएचई विभाग की अनुमति न मिलने से टैंकर से भी पानी नसीब नहीं हो पा रहा है।
गांव के सरपंच महेश बनवारी ने बताया कि 40 से 45 दिन में एक बार पानी दे पा रहे हैं। सांसद रहते मुख्यमंत्री कमलनाथ सिर्फ 4 बार गाँव मे आये हैं। वर्तमान सांसद नकुलनाथ सिर्फ चुनाव में आये ठगे उसके बाद आज तक गांव नहीं पहुंचे हैं। अब सवाल यह नहीं है कि मुख्यमंत्री या सांसद गांव नहीं पहुंचे, सवाल यह है कि आदर्श गांव का तमगा लगाए इस गाव को भी अपने रहबरों का इंतजार करना पड़ रहा है और पानी को तरसना पड़ रहा है। (हि.स.)