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MP : कांग्रेस के दो MLA अब भी 'लापता', लौटने वाले बोले-तीरथ करने गए थे

Update: 2020-03-09 06:55 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक हफ्ते से ज्यादा समय से चल रहे सियासी घटनाक्रमों के बीच अब राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस अपने दो और विधायकों को वापस लाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ रविवार रात दिल्ली रवाना हो गए। कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी विधायक एवं पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह रविवार शाम भोपाल पहुंचे और मुख्यमंत्री निवास में कमलनाथ से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद एक फोटो भी सामने आया, जिसमें बिसाहूलाल सिंह, मुख्यमंत्री और अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ दिखाई दिए। अभी दो विधायक हरदीप सिंह डंग और रघुराज कंसाना भी पिछले एक हफ्ते से 'लापता' हैं। डंग ने तो विधानसभा की सदस्यता से अपना त्यागपत्र भी कथित तौर पर भेज दिया है।

कमलनाथ से मुलाकात के बादबिसाहूलाल सिंह ने कहा कि वे 'तीरथ' करने गए थे। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि किसी ने उन्हें बंधक बनाया था। उन्होंने कमलनाथ सरकार के प्रति पूरा समर्थन जताया और कहा कि उन्हें पहले से समर्थन था और आगे भी जारी रहेगा। अलबत्ता उनकी नाराजगी इस बात को लेकर थी, उनके कार्य नहीं हो रहे थे। उनका लक्ष्य अपने क्षेत्र की जनता की सेवा करना है और उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन मिला है कि उनके सभी कार्य पूरे होंगे। सिंह को राज्य सरकार के एक मंत्री बंगलूर से विमान से यहां लाए हैं।

लगभग पांच दिन पहले सबसे पहले छह विधायकों को विशेष विमान से राज्य सरकार के दो मंत्री लेकर पहुंचे थे। इनमें बसपा के संजीव कुशवाह और रामबाई तथा सपा के राजेश शुक्ला और कांग्रेस के ऐदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव और कमलेश जाटव शामिल हैं। इन सभी विधायकों ने भी कांग्रेस सरकार के प्रति भरोसा जताया था, लेकिन बंधक बनाने या प्रलोभन मिलने की बात से इंकार किया था।

इसके बाद दो दिन पहले बेंगलुरु से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को राज्य सरकार के एक मंत्री विमान से लेकर पहुंचे और उन्होंने भी मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने राज्य सरकार को समर्थन देने की बात कही, लेकिन वे उसी दिन शाम को वापस दिल्ली चले गए। वे वहां से मुंबई पहुंच गए थे और वे शनिवार मुंबई में थे और रविवार वापस भोपाल आ गए। उन्होंने भी उन्हें बंधक बनाने की बात से इंकार किया था और कहा था कि वे पारिवारिक कार्य से बेंगलुरु गए थे। अलबत्ता उन्होंने ये आरोप जरूर लगाया था कि उन्हें बेंगलुरु में एयरपोर्ट जाते वक्त कुछ लोगों ने दो बार रोकने का प्रयास किया और इस वजह से उनकी फ्लाइट भी छूट गई थी।

इसके बाद कांग्रेस के रणनीतिकार रविवार को एक अन्य विधायक बिसाहूलाल सिंह को भी लाने में सफल हो गए और उन्हें उम्मीद है कि शेष दो कांग्रेस विधायक भी राजधानी वापस लौट आएंगे। वहीं एक भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वे हाल के दिनों में तीन चार मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से मिल चुके हैं। त्रिपाठी का दावा है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र मैहर के विकास के संबंध में मुख्यमंत्री से मिले हैं। उनका कहना है कि उन्हें तो सिर्फ अपने क्षेत्र के विकास से मतलब है फिर चाहे भाजपा हो या कांग्रेस।

दूसरी ओर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), दोनों ही दल राज्यसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के चयन की कवायद भी कर रहे हैं। राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान 26 मार्च को होगा और उसी दिन नतीजे भी घोषित होंगे। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकनपत्र दाखिले की अंतिम तिथि 13 मार्च हैं। इसके अलावा 16 मार्च से राज्य विधानसभा का महत्वपूर्ण बजट सत्र भी शुरू हो रहा है।

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने फिर आरोप लगाया है कि भाजपा राज्य की चुनी हुयी सरकार को विधायकों को प्रलोभन देकर गिराने का प्रयास कर रही है। यह भाजपा का तीसरा प्रयास है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के प्रयास सफल नहीं होंगे और कमलनाथ सरकार अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी। वहीं भाजपा नेता इस बात से इंकार कर रहे हैं कि वे सरकार को गिराने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार में अंतर्विरोध काफी ज्यादा हैं और इसके चलते यदि सरकार अस्थिर होती है तो वे (भाजपा) क्या कर सकते हैं।

राज्य में दो सौ तीस सदस्यीय विधानसभा में आगर और जौरा सीट रिक्त हैं। शेष 228 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय हैं। इस संख्या के हिसाब से दोनों दलों की एक एक सीट पर विजय सुनिश्चित मानी जा रही है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालातों के बीच तीसरी सीट पर रोचक चुनाव होने की संभावना है। राजनैतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि मौजूदा राजनैतिक हालातों के बीच अब सबकी निगाहें राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकनपत्र दाखिले की अंतिम तिथि 13 मार्च के साथ ही चुनाव के लिए मतदान और बजट सत्र पर टिकी हुई हैं। इसके अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वहीं भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया और अन्य विधायकों की गतिविधियों पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। 

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