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कृषि भूमि का पंजीयन कराते ही शुरू हो जाएगी नामांतरण प्रक्रिया

नामांतरण के लिए शुरू हुई ऑनलाइन सुविधा

Update: 2018-10-26 06:18 GMT

भोपाल। राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए इससाल के शुरुआत में शुरु की गई आनलाइन नामातंरण की नई प्रक्रिया की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस प्रक्रिया के शुरु होने से अब लोगों को कृषि भूमि के नामांतरण के लिए तहसील दफ्तरों और दलालों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जाएगी। नई प्रक्रिया के तहत जमीन की रजिस्ट्री कराते ही नामांतरण आवेदन तहसील दफ्तर में ऑनलाइन पहुंच जाएगा और उसके बाद उसे मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से नामांतरण की तय तारीख की जानकारी मिल । तय तारीख के दिन व्यक्ति को दस्तावेज लेकर ग्रामीण क्षेत्र में सचिव के पास और शहरी क्षेत्र में तहसीलदार के पास जाना होगा। दोनों ही जगह पर व्यक्ति के दस्तावेजों की जांच कर नामांतरण की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। एक मार्च से इस व्यवस्था को लागू करने के लिए बैरसिया तहसील और सीहोर जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया गया था। यहां पर आने वाली परेशानियों की जांच के बाद अब इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। हालांकि अभी यह व्यवस्था सिर्फ खेती की जमीन के नामांतरण के लिए लागू की गई है। भोपाल में इसे लागू करने के लिए खेती की जमीन के खसरों को लिंक किया गया है। पंजीयन विभाग के अफसरों का कहना है कि संपदा सॉटवेयर और मप्र रेवेन्यू केस मेनेजमेंट सिस्टम के सॉटवेयर को लिंक कर दिया गया है। पिछले तीन साल से यह काम चल रहा था। इसके लिए दोनों विभाग के 50 से ज्यादा इंजीनियरों की टीम लगातार सॉटवेयर में होने वाले बदलावों पर नजर रख रही थी। अभी यह व्यवस्था देश में सिर्फ हरियाणा में लागू थी। इसके साथ ही इस सुविधा को शुरु करने वाला मप्र देश का दूसरा राज्य बन गया है।

अभी यह होता है...

जिला प्रशासन के अफसरों ने बताया कि अभी तक खेती की जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण के लिए अलग से आवेदन करना पड़ता था। इसके बाद तहसीलदार को समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कराना होता था।

कई बार लोग आपत्ति लगा देते थे। इस प्रक्रिया में पटवारी से लेकर तहसीलदार स्तर तक कई चक्कर काटने होते हैं। सुनवाई के बाद नामांतरण की प्रक्रिया पूरी होती थी।

प्रदेश में सालाना दो लाख

से ज्यादा पंजीयन

पंजीयन विभाग के अफसरों का कहना है कि राजस्व कोर्ट में तो सबसे ज्यादा मामले नामांतरण विवाद से ही जुड़े होते हैं। प्रदेश में सालाना दो लाख से ज्यादा रजिस्ट्रियां होती हैं। इसमें ज्यादातर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री खेती की जमीन से जुड़ी होती है। मैनुअल आवेदन देने के कारण लोगों को नामांतरण के लिए भटकना पड़ता था।

ऐसे होगा ऑनलाइन आवेदन

मप्र रेवेन्यू केस मेनेजमेंट सिस्टम सॉटवेयर के माध्यम से सभी तहसील न्यायालय और पंचायतों को ऑनलाइन कर दिया गया है। रजिस्ट्री होते ही केस सीधे ग्रामीण क्षेत्र में सचिव, शहर क्षेत्र में तहसीलदार को ऑनलाइन ट्रांसफर होगा। इसके बाद वेरिफिकेशन सिर्फ लैंड रिकॉर्ड का होगा। दस्तावेजों की जांच के बाद 30 दिन के भीतर अविवादित नामांतरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

यहां के रहवासियों

को होगा फायदा

कोलार के कालापानी, थुआखेड़ा, बोरदा, विदिशा रोड पर स्थित माली पुरा, भानपुर के आसपास, रातीबड़, नीलबड़, कोकता ट्रांसपोर्ट नगर का ज्यादातर हिस्सा, रायसेन रोड स्थित खजूरी कला, खजूरी सडक़, फंदा, परवलिया सडक़, बड़वई, पलासी गांव, लांबाखेड़ा, ईटखेड़ी इलाके में बनी कॉलोनियां ऐसी हैं, जो खेती की जमीन पर बनी हुई हैं। 

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