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अब प्रदेश में 50 साल से अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को मिलेगी पेंशन

कैबिनेट बैठक में मिली प्रस्ताव को मंजूरी

Update: 2018-09-25 05:50 GMT

भोपाल/स्वदेश वेब डेस्क। अब मध्यप्रदेश में 50 साल से अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं को सरकार पेंशन देने जा रही है। इसके लिए सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके तहत 50 वर्ष से 79 वर्ष तक की अविवाहित महिलाओं को 300 रुपए प्रतिमाह एवं 80 से ज्यादा वर्ष की अविवाहित महिलाओं को 500 रुपए की राशि दी जाएगी। यह व्यवस्था चुनाव से पहले शुरू की जा सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है। इसके तहत अविवाहित महिलाओं को भी पेंशन के दायरे में लाया जा रहा है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसको कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इस व्यवस्था के बाद प्रदेश की हजारों महिलाओं को कुछ राहत मिलेगी। फिलहाल 300 एवं 500 रुपए प्रतिमाह के दायरे में इनको रखा गया है, लेकिन सरकार जल्द ही इसमें बढ़ोत्तरी भी कर सकती है। इसके अलावा कैबिनेट में करीब तीन दर्जन प्रस्तावों पर भी मुहर लगाई है। यहां बता दें कि मध्यप्रदेश मेें अब तक वृद्धावस्था पेंशन योजना सहित कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं महिलाओं के लिए संचालित की जा रही हैं, लेकिन अब 50 साल से अधिक अविवाहित महिलाओं को भी सरकार की योजनाओं के दायरे मेें लाया गया है। इस योजना का लाभ प्रदेश की उन्हीं महिलाओं को मिलेगा, जो प्रदेश की मूल निवासी होंगी और 50 साल से कम उम्र नहीं होनी चाहिए।

मेट्रो के लिए नए पद

भोपाल और इंदौर की मेट्रो रेल परियोजना को निरंतर रखने की स्वीकृति कैबिनेट में दी गई। साथ ही भोपाल और इंदौर में अतिरिक्त प्रबंध संचालक के दो पद निर्मित किए गए। परियोजना लागत की 50 फीसदी राशि का इंतजाम विदेशी वित्तीय संस्थानों से होगा। 10 प्रतिशत की राशि मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड आंतरिक कर्ज बांड या पीपीटी के माध्यम से जुटाई जाएगी। इसके लिए सरकार गारंटी देगी। कैबिनेट ने यह भी तय किया गया कि जबलपुर और ग्वालियर में मेट्रो रेल के लिए फिजिबिलिटी स्टडी कराई जाएगी। इसकी रिपोर्ट के बाद आगे की रणनीति तय होगी।

100 छात्रों को कोचिंग, डॉक्टरों के लिए डिप्लोमा कोर्स

बैठक में ये भी तय किया गया कि प्रदेश सरकार प्रतिभावान 100 युवाओं को अखिल भारतीय सेवाओं की परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली में कोचिंग दिलाएगी। इसके अलावा कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन मुंबई के माध्यम से सेवारत डॉक्टरों को विशेषज्ञता दिलाने के लिए डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद कुछ नियमों में संशोधन भी करेगी। प्रशिक्षण लेने के बाद डॉक्टरों को 20 लाख रुपए का बांड भरना होगा कि उन्हें आदिवासी क्षेत्रों में सेवाएं देने भेजा जाएगा. इसमें स्वास्थ्य विभाग प्रदेश के अस्पतालों में स्त्री व शिशु रोग के अलावा निश्चेतना, जनरल मेडिसिन, साइकोलॉजिकल मेडिसिन, पैथालॉजी एवं बैक्टीरियोलॉजी, मेडिकल रेडियोलॉजी एवं इलेक्ट्रॉलॉजी, जनरल सर्जरी एवं इमरजेंसी मेडिसिन में डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जाएंगे।

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