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एनजीटी ने भोपाल के जिंसी बूचड़खाने को तत्काल प्रभाव से बंद करने का दिया आदेश

Update: 2019-10-22 15:49 GMT

दिल्ली/भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एऩजीटी) ने भोपाल के बूचड़खाने को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। जस्टिस एस रघुवेंद्र राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने भोपाल के कलेक्टर को निर्देश दिया कि इस आदेश को लागू करवाएं। एनजीटी ने भोपाल के एसएसपी को निर्देश दिया है कि वह इस आदेश को लागू करने में जिला प्रशासन को हरसंभव मदद उपलब्ध कराएं।

याचिका विनोद कुमार कोरी ने 2014 में दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि भोपाल के जिंसी में चल रहे बूचड़खाने को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। ये बूचड़खाना रिहायशी और वाणिज्यिक इलाके में चल रहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 30 सितम्बर, 2015 को बूचड़खाने को 30 सितम्बर 2016 तक जिंसी से दूसरी जगह शिफ्ट करने का आदेश दिया था । इस आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

एनजीटी ने पाया कि 30 सितम्बर 2015 के उसके आदेश के अनुपालन के लिए राज्य सरकार हमेशा कोई न कोई बहाना बनाती रही । एनजीटी ने राज्य सरकार पर एक करोड़ का जुर्माना लगाने का आदेश देते हुए 31 मार्च, 2018 तक नए बूचड़खाने के लिए जगह ढूंढ़कर वहां शिफ्ट करने का आदेश दिया लेकिन राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2018 तक भी कोई स्थान नहीं ढूंढ़ा। उसके बाद एनजीटी ने राज्य सरकार पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। उसके बाद एनजीटी ने भोपाल नगर निगम पर देरी के लिए हर दिन दस हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया। एनजीटी ने कहा कि दस हजार रुपये प्रतिदिन का जुर्माना काम पूरा होने तक या 30 जून, 2019 तक वसूला जाएगा। 30 जून तक भोपाल नगर निगम पर जुर्माने की रकम 45 लाख 70 हजार रुपये हो गई लेकिन राज्य सरकार और भोपाल नगर निगम ने आदेश के अनुपालन की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

गत 18 जुलाई को सुनवाई के दौरान एनजीटी ने पाया कि राज्य सरकार ने नए स्थान पर बूचड़खाना का निर्माण शुरू नहीं किया था। एनजीटी ने राज्य सरकार को 31 दिसम्बर तक नए बूचड़खाने में काम शुरु करने का निर्देश 5 करोड़ रुपये की जुर्माने की रकम अदा करने की शर्त पर दिया था।

इस मामले पर आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार नए बूचड़खाने के निर्माण को लेकर कोई भी नई सूचना नहीं दे पाई। सुनवाई के दौरान भोपाल के एडीएम सतीश कुमार ने एनजीटी ने कहा कि वे वैकल्पिक जगह खोज रहे हैं जबकि भोपाल नगर निगम के आयुक्त ने कहा कि नया बूचड़खाना तय समय तक बन जाएगा। इसके बाद एनजीटी ने पाया कि जब एडीएम सतीश कुमार बयान दे रहे हैं कि नए बूचड़खाने के लिए वैकल्पिक जगह खोजी जा रही है तो इसका मतलब राज्य सरकार आदेश के पालन के प्रति गंभीर नहीं है। उसके बाद एनजीटी ने जिंसी के बूचड़खाने को बंद करने का आदेश दे दिया। एनजीटी ने भोपाल के कलेक्टर को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 7 नवम्बर को होगी।

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