भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी ने छिंदवाड़ा संसदीय सीट के संग्राम को जीतने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। इस रणनीति के तहत भाजपा इस सीट पर ऐसे उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में है, जो सौ-टका पार्टी को जीत की राह पर ले जा सके। ज्ञात हो कि कांग्रेस ने छिंदवाड़ा सीट से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई है। ऐसे में भाजपा भी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में दिख रही है, जो स्थानीय समीकरणों में फिट बैठे और जातीय संतुलन की कसौटी पर खरा हो। राजनीतिक गलियारों में आदिवासी नेता मनमोहन शाह बट्टी के भाजपा में शामिल होने और छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है।
कहा जा रहा है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी भाजपा में शामिल होकर छिंदवाड़ा से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। इसी वजह से उन्होंने दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। राजनीतिक गणित लगाया जा रहा है कि पूरे जिले में आदिवासी मतदाताओं की संख्या लगभग डेढ़ लाख है। और भाजपा का गणित है कि छिंदवाड़ा जिले में उसके पारंपरिक मतदाताओं की संख्या तीन से साढ़े तीनलाख लाख है, जिन्हें मिलाकर कांग्रेस को मात दी जा सकती है। इसी गणित के जरिये गोंगपा नेता मनमोहन शाह बट्टी को भाजपा में शामिल कराने की रणनीति बनाई गई है। खुद मनमोहन शाह बट्टी भी भाजपा का दामन थामने के लिए प्रयासरत हैं।
हालांकि, जिले में आदिवासी नेता की पहचान रखने वाले मनमोहन शाह बट्टी का स्थानीय स्तर पर विरोध है। जिसका मुख्य कारण अतीत में मनमोहन शाह बट्टी द्वारा हिंदू धर्म ग्रंथ को जलाकर रावण की पूजा प्रारंभ करने की घटना से जोडक़र देखा जा रहा है।
छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद चुने जा चुके हैं मुख्यमंत्री कमलनाथ
कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। 1985, 1989, 1991 में उन्होंने लगातार चुनाव जीते हैं। 1991 से 1995 तक नरसिम्हा राव सरकार में उन्होंने पर्यावरण मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। 1995 से 1996 तक वह कपड़ा मंत्री भी रहे। 1998 और 1999 में भी उन्हें दोबारा जीत मिली। लगातार मिलने वाली जीत के कारण कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया। 2001 में उन्हें कांग्रेस महासचिव बनाया गया। 2004 तक वह कांग्रेस महासचिव के रूप में रहे। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर तो जैसे जीत का दूसरा नाम कमलनाथ हो गए थे। 2004 में उन्होंने फिर से जीत का सेहरा पहना। 2204 में वह 7वीं बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। गांधी परिवार के करीबी और एक कद्दावर नेता होने के नाते वह मनमोहन सिंह की सरकार में एक बार फिर मंत्री बने। 2009 में यूपीए-2 के चुनाव में छिंदवाड़ा से एक बार फिर कमल ही जीते। इस बार कमलनाथ को सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय दिया गया। 2012 में कमलनाथ संसदीय कार्यमंत्री बने। इसके बाद 2014 में यह सिलसिला जारी रहा। इसके बाद पार्टी ने उन्हें मध्यप्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी और कांग्रेस का सालों का वनवास खत्म हुआ और कमलनाथ देखते ही देखते मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। अब लोकसभा चुनाव में वे अपनी सीट से बेटे को उतारने के मूड में हैं क्योंकि वह यही से विधानसभा चुनाव लड़ेंगें।