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बांस मिशन पर वन विभाग के अफसरों में गफलत

Update: 2019-03-24 15:12 GMT

उत्पादन व मांग को लेकर विभाग के दो अधिकारियों के अलग-अलग बयान

भोपाल/प्रशासनिक संवाददाता। मध्य प्रदेश में बांस के उत्पादन और मांग को लेकर वन विभाग के दो अधिकारियों में गफलत है। दरअसल विरोधाभाषी बयानों की वजह से मध्यप्रदेश सरकार का बांस मिशन भी अब सवालों के घेरे में हैं। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्पादन एस.के.शर्मा के मुताबिक मध्यप्रदेश में जिनते बांस का उत्पादन होता है उसके मुकाबले बांस की मांग नहीं है।

पहले पेपर मील में कागज बनाने के लिए बांस की मांग अधिक थी, लेकिन अब कागज बनाने में पल्प का उपयोग होता है, जिसकी वजह से बांस की मांग में कमी आई है। वे कहते हैं कि मध्यप्रदेश में अभी लगभग 30 हजार नोशनल टन बांस का उत्पादन होता है। इसमें मात्र 27 लाख नग बांस का ही निस्तार हो पाता है। वहीं बंबू मिशन के संचालक बी.पी सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में मांग की तुलना में बांस का उत्पादन कम होता है। इसलिए दूसरे राज्यों से बांस मंगाया जाता है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि मध्यप्रदेश में अच्छी गुणवत्ता के बांस का उत्पादन नहीं होता। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में उत्पादन होने वाले बांस से पेपर, टोकरी, चटाई आदि आयटम बनाए जा सकते हैं, लेकिन फर्नीचर बनाने के लिए अच्छे बांस की आवश्यकता होती है। गौरतलब है कि पूर्व की भाजपा सरकार ने बांस की खेती व उद्योग को बढ़ाने के लिए बंबू मिशन शुरू किया था, लेकिन उसके परिणाम भी अपेक्षा अनुसार नहीं मिले।

स्थिति पता करने कराया जा रहा सर्वे

बंबू मिशन के संचालक बी.पी सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश के किस जिले में बांस की कितनी मांग है और कितना उत्पादन होता है यह पता करने के लिए विभाग ने टेंडर जारी कर दिल्ली की एक फर्म को मार्केट रिसर्च का काम सौंपा है, जो कि 4 महीने में विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कितने किसान हैं जो बांस की खेती करते हैं, इसके लिए भी सर्वे कराया जा रहा है।

उत्पादकों को मिलेंगे नि:शुल्क बांस

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पान की खेती करने किसानों को 500 बांस नि:शुल्क देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से सिर्फ पान उत्पादकों को ही लाभ नहीं होगा, बल्कि बांस उत्पादन करने वालों को भी इसका लाभ होगा। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्पादन एस.के.शर्मा के मुताबिक अभी मध्यप्रदेश में जितने बांस का उत्पादन होता है उसका एक तिहाई बांस ही उपयोग में आता है।

बांस जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए बांस की मांग कम होती है। पान उत्पादकों को यदि 500 बांस दिए जाएंगे तो बांस की मांग बढ़ सकती है। अभी शासन स्तर पर इस योजना पर काम चल रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 22 साल पहले की परंपरा को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है। बताया जाता है कि वर्ष 1997 के आसपास पान का उत्पादन करने वाले किसानों को न्यूनतम दर पर बांस दिए जाते थे। अब पान की खेती को आधुनिक तरीके से किया जा रहा है। आधुनिक खेती होने की वजह से भी बांस की मांग में कमी आई है।

इसलिए हुआ था बंबू मिशन का गठन

बांस की मांग व उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शिवराज सरकार ने स्टेट बंबू मिशन का गठन किया था, ताकि बांस उद्योग को मजबूत किया जा सके। हाल ही में वन विभाग ने बांस उद्योग लगाने वालों को 50 फीसदी अनुदान देने का निर्णय लिया है, ताकि बांस उद्योग लगाने वालों को प्रत्साहित किया जा सके। बंबू मिशन के संचालक बी.पी सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में मांग के हिसाब से अच्छी गुणवत्ता का बांस पैदा नहीं होता, इसलिए दूसरे राज्यों से बांस आयात करना पड़ता है। बांस या बम्बू का उपयोग बढ़ाने व बांस को लाभ का धंधा बनाने के लिए शिवराज सरकार ने वर्ष 2018 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश के सभी स्कूलों में बांस के फर्नीचर का उपयोग होना चाहिए। लेकिन यह आदेश भी ठंडे बस्ते में चला गया। यही वजह है कि आदेश के बाद भी स्कूलों के फर्नीचर में कहीं भी बांस का उपयोग दिखाई नहीं देता। 

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