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मध्यप्रदेश में वंशवादका वटवृक्ष

Update: 2019-03-23 16:49 GMT

भोपाल/राजनीतिक संवाददाता। 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा के लिए भी परिवारवाद सिरदर्द बन गया है। अभी तक कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाने वाली संगठन आधारित दल में नेताओँ के परिवार की दूसरी पीढी चुनाव में दावा ठोक रही है। कांग्रेस में तो पहले से ही परिवारवाद हावी है। भाजपा हो या कांग्रेस पार्टी कार्यालयों पर इन दिनों में जो चहल पहल है उसमें कई एसे चेहरे हैं जो अपने-अपने परिवार के लिए टिकट की जुगाड़ में दौड़ लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक भार्गव के लिए टिकट की जुगाड़ में हैं। वो साफ कह रहे हैं कि नेता का बेटा भीख तो मांगेगा नहीं। सिर्फ भार्गव ही नहीं और भी कई नेता पुत्र-पुत्री भी टिकट के लिए दावा ठोक रहे हैं।

भाजपा में परिवारवाद की लम्बी सूची

साधना सिंह विदिशा लोकसभा से टिकट मांग रही हैं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी हैं।

♦ मौसम बिसेन बालाघाट लोकसभा से टिकट मांग रही हैं। मौसम पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी हैं।

♦ सुधा मलैया सागर से टिकट मांग रही हैं। पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया की पत्नी हैं।

♦ ज्योति शाह विदिशा से टिकट मांग रही हैं। पूर्व वित्तमंत्री राघव जी की बेटी है।

♦ सरोज सिंह सागर लोकसभा सीट से टिकट मांग रही हैं, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह की पत्नी हैं।

♦ इंजी. भारती आर्य टीकगमढ़ से टिकट मांग रही हैं, मऊरानीपुर (यूपी) विधायक बिहारी लाल आर्य की बेटी हैं।

♦ कांग्रेस तो पहले से ही परिवारवाद के आरोपों से घिरी रही है। तर्क भी ये कि राजनीतिक परिवार से ताल्लुक होने से किसी की योग्यता को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

अब कांग्रेस की सूची भी देख लीजिए

♦ नकुलनाथ छिंदवाड़ा से टिकट के दावेदार, मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे हैं।

♦ प्रियदर्शनी राजे ग्वालियर से दावेदार, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी हैं।

♦ पवन कांवरे बालाघाट से टिकट मांग रहे हैं, विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे के भाई हैं।

♦ प्रवीणा बच्चन खरगौन से दावेदार, गृहमंत्री बाला बच्चन की पत्नी हैं।

♦ पवन वर्मा देवास लोकसभा से टिकट मांग रहे हैं, मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के बेटे हैं।

♦ रेणुका पटवारी के इंदौर से टिकट मांगने की चर्चा थी, वो मंत्री जीतू पटवारी की पत्नी हैं।

♦ 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों दल के नेता अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे बेटियों समेत रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं। नेता तर्क कोई भी देंए लेकिन एक बात तो बिलकुल साफ है राजनीतिक परिवार से जुड़े होने का फायदा नेता पुत्र-पुत्रियों को मिलता रहा है।

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