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मुख्यमंत्री कन्यादान एवं निकाह योजना को आचार संहिता से मुक्त करे आयोग

Update: 2019-03-18 16:59 GMT

गरीब परिवारों की बेटियों की शादी में अड़चन बनी आचार संहिता

भोपाल/प्रशासनिक संवाददाता। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावशील है। आचार संहिता के कारण गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर सामाजिक न्याय विभाग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय मध्यप्रदेश को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें मुख्यमंत्री कन्यादान एवं निकाह योजना को आचार संहिता से मुक्त करने के लिए कहा गया है। अब इस प्रस्ताव को केंद्रीय चुनाव आयोग के पास भेजा जाएगा।

प्रदेश में हर वर्ष गरीब कन्याओं की शादी मुख्यमंत्री कन्यादान एवं निकाह योजना के तहत की जाती है। इस योजना के तहत अब तक लाखों बेटियों की शादी की जा चुकी है। योजना के तहत शादी का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाता है, लेकिन फिलहाल चुनाव आचार संहिता प्रभावशील है, जो कि मई माह तक रहेगी। इस कारण इस योजना का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके लिए सामाजिक न्याय विभाग ने चुनाव आयोग ने इस योजना को आचार संहिता से मुक्त करने की गुजारिश की है। इसके लिए सामाजिक न्याय आयुक्त केजी तिवारी ने एक प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा है।

योजना का लाभ मिले, इसलिए कवायद :

सामाजिक न्याय विभाग द्वारा नि:शक्तजन बेटियों की शादी एवं निकाह सहित कई गरीब कन्याओं की शादी सरकारी योजना के तहत की जाती है। इस योजना के कारण कई गरीब परिवारों को राहत भी है। फिलहाल प्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता है, जो कि मई माह तक रहेगी। इस बीच में शादी के कई मुहूर्त हैं और इन मुहूर्त में कई गरीब कन्याओं की शादी होनी है। ऐसे में उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलेगा तो उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ ज्यादा आएगा।

केंद्रीय चुनाव आयोग से मिलेगी अनुमति :

सामाजिक न्याय विभाग द्वारा जो प्रस्ताव मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय मध्यप्रदेश को दिया गया है। उस प्रस्ताव को केंद्रीय चुनाव आयोग दिल्ली के पास भेजा जाएगा। वहां से अनुमति मिलने के बाद सामाजिक न्याय विभाग योजना का लाभ गरीब कन्याओं को दे सकेगा। इधर उज्जैन संभागायुक्त ने शाजापुर जिलाधीश के अवकाश संबंधी प्रस्ताव भी चुनाव आयोग के पास भेजा है।

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