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तबादला उद्योग: लक्ष्मण सिंह के निशाने पर आई सरकार

Update: 2019-03-06 15:37 GMT

इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने किए चपरासियों के तबादले

विशेष संवाददाता भोपाल

मध्य प्रदेश में वक्त है बदलाव का नारा देकर सत्ता के सिंहासन तक पहुंची कांग्रेस सरकार में चल रहे तबादला उद्योग ने सरकार को विपक्ष के साथ-साथ अपनों के निधाने पर ला दिया है। पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के निधाने पर रही सरकार प्रदेश में किये जा रहे ताबड़-तोड़ तबादलों को लेकर बैकफुट पर थी कि अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने सरकार पर तबादलों को लेकर हमला बोल दिया है।

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ के शपथ लेने के बाद सरकार की तबादला एक्सप्रेस ने जो गति पकड़ी तो आज तक यह गति निरंतर जारी है। सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग और पुलिस मुख्यालय की ओर से प्रतिदिन सेकड़ों की संख्या में तबादला आदेश जारी किये जा रहे हैं। हद तो तब हो गई जब सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के एक ही दिन में चार-चार तबादला आदेश जारी किए गए। बात यहीं नहीं थमी इतिहास में पहली बार किसी राज्य सरकार द्वारा प्रदेश स्तर पर चपरासियों के तबादला आदेश भी कर डाले। जिससे मामला राजनीतिक तूल भी पकड़ा और शंका भी हुई, क्योंकि विपक्ष ने इसे तबादला उद्योग कहा है। तबादला को लेकर अब तक अधिकारी-कर्मचारी और भाजपा नेता ही सवाल उठा रहे थे अब कांग्रेस के अंदर ही इसको लेकर घमासान शुरू हो गया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चाचौड़ा विधायक लक्ष्मण सिंह ने तबादले को लेकर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा है कि पहले भी तबादले होते थे, लेकिन तबादले होने के बाद इस पर प्रतिबन्ध लग जाता था। निरंतर तबादले नहीं किये जाते थे। तबादलों से प्रशासनिक व्यय होता है, और प्रदेश पहले से ही कर्ज में है, ऐसी स्थिति में सरकार को इस तरह के अतिरिक्त खर्चे से बचाना चाहिए। तबादलों से खर्च का बोझ सरकार पर बढ़ता है। कई करोड़ सरकार तबादलों पर खर्च कर चुकी है। उन्होंने कहा कि तबादलों को सिर्फ एक माह के लिए खोलना चाहिए फिर इस पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए, ताकि सरकार पर इसका अधिभार न पड़े। वहीं उन्होंने एक ही अधिकारी के बार बार तबादले और आदेश जारी होने के बाद तबादले निरस्त होने पर भी सवाल उठाये। उन्होंने कहा ऐसा नहीं होना चाहिए इससे संदेह होता है, कहीं कोई लेनदेन तो नहीं हुआ और विपक्ष को भी सरकार पर आरोप लगाने का मौका मिलता है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में ताबड़तोड़ तबादलों का दौर चल रहा है। सैकङों की संख्या में अधिकारी कर्मचारी बदले जा चुके हैं। जिसको लेकर भाजपा ने भी सरकार पर तबादला उद्योग चलाने के आरोप लगाए हैं। भाजपा का कहना है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा गई है और सरकार सिर्फ तबादलों में व्यस्त है। कई अधिकारियों के तबादले सुखिऱ्यों में भी रहे जिन्हे राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण हटाया गया। इसको लेकर सरकार निशाने पर है, वहीं कांग्रेस विधायक ने भी इस तरह तबादले किये जाने को लेकर बयान दिया है जिससे एक बार तबादलों को लेकर सियासत गरमा गई है।

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