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मतदाताओं को लुभाने कांग्रेस का पट्टा दांव

Update: 2019-03-05 15:04 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा का विकल्प बनने के लिए कांग्रेस हर संभव दांव-पेंच खेलने का प्रयास कर रही है। इसके लिए कांग्रेस ने अपनी अल्पसंख्यक हितैषी छबि से हटकर हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करना शुरु जरुर किया, किन्तु प्रदेशवासियों को अब तक कांग्रेस के चाल-चरित्र और चेहरे पर भरोसा नही हुआ है। सरकार बनने के बाद पिछले ढाई माह में सरकार ने गाय, गौशाला, मंदिर एवं आत्यात्मिक विभाग को लेकर ऐसे फैसले लिए हैं, जिससे भाजपा की चिंता बढ़ाई जा सके, लेकिन इन सब प्रयासों का भाजपा या प्रदेश के मतदाता पर कोई खास असर दिखाई नही पड़ा है, क्योंकि कांग्रेस भले यह सोचती है कि चुनाव में वह भाजपा को इन मुद्दों पर मात दे सकती है, लेकिन प्रदेश की वर्तमान परिस्थितियों में ऐसा संभव नही दिख रहा। इसके लिए कांग्रेस अब पट्टे की राजनीति खेलने जा रही है।

इधर सरकार लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में ऐसे मंदिर जो सरकारी जमीन पर हैं, उन्हें पट्टा देने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर जल्द ही प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। आध्यात्म एवं जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने यह ऐलान किया है। शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा नव-गठित अध्यात्म विभाग के अंतर्गत प्रदेश के 21 हजार पुजारियों का मानदेय तीन गुना बढ़ा दिया गया है।

मंत्री पीसी शर्मा का मानना है कि प्रदेश में सरकारी जमीनों पर बने मंदिरों को पट्टे दिए जाएंगे। इसके लिए मंदिरों को चिंहित किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में चर्चा की जाएगी। सरकार पुजारियों का मानदेय तीन गुना करने का फैसला पहले ही कर चुकी है। इसके बाद अब सरकार मंदिरों को जमीन के पट्टे देने पर विचार कर रही है और धर्मस्थ एवं अध्यात्म विभाग द्वारा इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। यह प्रस्ताव मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखा जा सकता है।

प्रदेश के लगभग एक लाख ऐसे मंदिर हैं, जो शासकीय जमीन पर स्थित हैं, राज्य सरकार उन्हें शीघ्र की जमीन का पट्टा उपलब्ध कराएगी। पट्टा नहीं होने के कारण यह मंदिर अब तक अतिक्रमण की श्रेणी में आते हैं। अब सरकार इन सभी मंदिरों को पट्टा देकर वैध बनाएगी। अध्यात्म विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया जाएगा। अतिक्रमण कर सरकारी जमीन और सार्वजानिक स्थलों पर बनाये गए धर्मस्थलों को हटाने के लिए उच्च न्यायालय का आदेश आ चुका है। इस सम्बन्ध में सरकार से जवाब माँगा जा रहा है। मंदिरों से जुड़े पुजारियों और साधु संतों की नाराजगी से बचने और वचन पत्र में शामिल हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का यह कदम एक मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

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