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कांग्रेस को राहुल की हां का इंतजार

Update: 2019-02-23 17:11 GMT

कांग्रेस ने तय किये प्रत्याशी, पिटे हुए मोहरों पर बिगड़ सकती है बात

राजनीतिक संवाददाता भोपाल

विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में भी इसी परिणाम को दोहराना चाहते हैं। यही वजह है कि वे प्रत्याशियों के नाम का ऐलान जल्द से जल्द करना चाहते हैं। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने 26 फरवरी तक प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों के नाम मांगे हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी टीम के साथ उम्मीदवारों की सूची तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस के पास सर्वे रिपोर्ट भी आ चुकी है जिसमें जिताऊ उम्मीदवारों के नाम हैं। इसके अलावा कमलनाथ प्रतिदिन दो लोकसभा सीटों की समीक्षा कर संभावित उम्मीदवारों पर बात कर रहे हैं। कमलनाथ अब तक 10 सीटों की समीक्षा कर चुके हैं सप्ताह के अंत तक लगभग सभी 29 सीटों पर बात पूरी हो जाएगी। कांग्रेस की कोशिश फरवरी के अंत तक उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने की है।

इन सीटों पर नाम लगभग तय

मुख्यमंत्री ने लोकसभा सीटों की समीक्षा का क्रम 13 फरवरी से शुरू किया है जो 21 फरवरी को पूरा हो जाएगा। अभी तक टीकमगढ़, सतना, बालाघाट, उज्जैन, रीवा, मंदसौर, होशंगाबाद, धार, शहडोल और बैतूल लोकसभा सीटों से संबंधित बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में प्रभारी मंत्री, गृह जिले के मंत्री और स्थानीय विधायकों के अलावा उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी बुलाया जा रहा है। जिन सीटों पर समीक्षा होना बाकी है उनमें सागर, खरगोन, मंडला, रतलाम, दमोह और विदिशा लोकसभा संसदीय क्षेत्र शामिल हैं।

इस तरह तय होगा नाम

कमलनाथ इन समीक्षा बैठकों में नेताओं से बंद लिफाफे में संभावित उम्मीदवारों के नाम मांग रहे हैं। लोकसभा प्रभारी पहले ही अपने-अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों का पैनल संगठन को सौंप चुके हैं। कांग्रेस के दो सर्वे का काम भी पूरा हो चुका है। इन सर्वे में मिले नामों के अलावा लोकसभा प्रभारी और नेताओं के बंद लिफाफे में मिले नाम का मिलान किया जा रहा है। इनमें से जिसकी जीत की सबसे ज्यादा संभावना होगी उसे उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया जाएगा। जहां एक से ज्यादा नाम होंगे उनकी पैनल भी तैयार की जा रही है। ये सभी नाम 26 फरवरी को राहुल गांधी को सौंपे जाएंगे।

अभी कांग्रेस के पास सिर्फ तीन सीटें

मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ तीन सीटें हैं, ये वो सीटें हैं जो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं। छिंदवाड़ा, गुना और रतलाम सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार तय हैं। गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया, छिंदवाड़ा से नकुल नाथ और रतलाम से कांतिलाल भूरिया चुनाव लडऩे जा रहे हैं। बाकी 26 सीटों में से कांग्रेस 17 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।

दिग्विजय सिंह के करीबी हैं नीखरा

होशंगाबाद में रामेश्वर नीखरा भी प्रतापभानु की ही तरह 1980 और 84 में होशंगाबाद से जीतने के बाद लगातार तीन चुनाव हारे थे और इसके बाद 2009 में जबलपुर सीट से भी चुनाव हार गए थे। लेकिन हाल ही में हुई बैठक में पेश की गई पैनल में उनका नाम शामिल है। पूर्व सीएम दिग्विजय के अलावा सीएम एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का भी साथ मिल सकता है। होशंगाबाद सीट से ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी की भी दावेदारी मानी जा रही है। वे भी एक लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। बीती विधानसभा में उपाध्यक्ष और दिग्विजय सरकार के मंत्री रहे राजेंद्र कुमार सिंह भी सतना से लगातार तीन लोकसभा चुनाव और हाल में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। लगातार तीन चुनाव हारने वालों में ग्वालियर के अशोक सिंह भी है।

दो बार हारे उम्मीदवारों को भी उम्मीद

दो बार हारने वाले दावेदारों में खजुराहो से राजा पटैरिया 2009 में 28 हजार और 2014 में ढाई लाख वोट से हारे थे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव 2009 में खंडवा से जीते और 2014 में हारने के बाद हाल ही में बुदनी से विधानसभा चुनाव हारे हैं। 1996 में दमोह सीट पर रामकृष्ण कुसमरिया से हारे मुकेश नायक हाल ही में विस चुनाव हारे हैं। रीवा से सुंदरलाल तिवारी एक चुनाव जीते, एक हारे और अभी विस चुनाव हारे हैं।

हार की हैट्रिक बनाने वाले नेता भी दावेदार

कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के लिए अभी से पार्टी उम्मीदवारों को लेकर रायशुमारी का दौर चल रहा है। इस बीच पार्टी में नेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी ने गुटबाजी भी खुलकर सामने आ गई है। इस दौरान कई नेताओं के समर्थकों ने अपने-अपने नेताओं के नामों को आगे बढ़ाना शुरु कर दिया है। जिसमें कुछ नाम ऐसे हैं जो हार की हैट्रिक तक बना चुके हैं। यही वजह है कि चार बार जीते और दो बार लोकसभा चुनाव हारे कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह भी घिसे पिटे चेहरे और रानी महारानी को प्रत्याशी न बनाने की राय सार्वजनिक रूप से जता चुके हैं। दूसरी तरफ पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की तीन चुनाव हारे नेताओं को टिकट न देने का फार्मूला भी पार्टी की गुटीय संरचना में टिकट दावेदारों के लिए मुश्किल बन सकता है इसके बाद भी ऐसे नेता अपनी दावेदारी में पूरी ताकत लगाए हुए हैं। हालांकि दो दफा चुनाव हारने वाले भी टिकट की उम्मीद कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा विदिशा संसदीय सीट से टिकट के दावेदारों में शुमार हैं। वे 1980 और 1984 में इस सीट से जीत चुके हैं। लेकिन इसके बाद वे लगातार तीन लोकसभा चुनाव क्रमश: अटल बिहारी वाजपेयी और शिवराज सिंह चौहान से चुनाव हार गए थे। वे एक विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं।

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