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सदन में केपी सिंह बने सरकार की मुसीबत

Update: 2019-02-20 16:57 GMT

मंत्री के जबाव से असंतुष्ट होकर गिनाई खामियां, कहां मुझे कुछ जबाव दिया और अब सदन में कुछ और बताया जा रहा है

प्रशासनिक संवाददाता भोपाल

विधानसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक केपी सिंह 'कक्काजू' ने आज अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए। उन्होंने अपने सवाल पर मंत्री के जबाव पर असंतुष्टि जताई और कहा कि मुझे लिखिल में कुछ और जबाव दिया गया है, जबकि सदन में कुछ और बताया जा रहा है।

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक केपी सिंह कक्काजू ने सरकारी मेडिकल कॉलेज शिवपुरी में शैक्षणिक, पैरा मेडिकल स्टॉफ एवं अन्य पदों पर हुई नियुक्तियों से संबंधित जानकारी चाही थी। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ से जानना चाहा कि शिवपुरी के मेडिकल कॉलेज में जो भर्तियां की गईं हैं उनमें मप्र चिकित्सा महाविद्यालय आदर्श सेवा भर्ती नियम 2018 का पालन किया गया था या नहीं। इस सवाल के जबाव में मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने बताया कि पैरा मेडिकल एवं अन्य स्टॉफ की नियुक्ति मैरिट सूची के आधार पर की गई है। उन्होंने बताया कि 155 पद थे और 153 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इस मामले की शिकायत मिली थी इसके बाद जांच के लिए समिति भी गठित की गई है। इस जबाव से असंतुष्ट होकर वरिष्ठ विधायक केपी सिंह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान लगा दिए।

इंजीनियरिंग कॉलेजों में नहीं भर पाई सीटें

भाजपा विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने जानना चाहा कि पन्ना एवं रायसेन में इंजीनियरिंग खोलने के आदेश हुए थे, लेकिन अब तक इंजीनियरिंग कॉलेज से संबंधित कोई भी कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। इस पर तकनीकी शिक्षा मंत्री बाला बच्चन ने बताया कि पन्ना में इंजीनियरिंग कॉलेज की सैद्धांतिक सहमति विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले 4 अक्टूबर को हुई थी। अब शीघ्र ही कॉलेज की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस पर बृजेंद्र प्रताप सिंह ने समय-सीमा की मांग की तो मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति बेहतर नहीं है। 160 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 62 हजार बच्चों के एडमिशन होने थे, लेकिन सिर्फ 29 हजार बच्चों के ही एडमिशन हुए हैं, इसलिए अन्य पहलुओं पर अध्ययन करने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इंजीनियरिंग कॉलेज से जुड़े प्रश्न को लेकर विधायक रामपाल सिंह ने भी रायसेन की स्थिति जाननी चाही। बाद में अध्यक्ष ने व्यवस्था देते हुए विधायकों की जिज्ञासाओं को शांत किया। 


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