समय पर नहीं देते न्यायालयीन प्रकरणों की जानकारी
प्रशासनिक संवाददाता ♦ भोपाल
सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों को हवा में उड़ाने में सरकार के अधिकारी ही सबसे आगे हैं। अधिकारियों द्वारा न तो आदेशों पर अमल किया जा रहा है और न ही न्यायालयीन प्रकरणों को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके कारण कई बार सामान्य प्रशासन विभाग को हाईकोर्ट की फटकार भी मिल चुकी है। अब जीएडी ने सभी आला अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देशों पर अमल करने के लिए कहा है।
हाईकोर्ट जबलपुर एवं ग्वालियर, इंदौर बैंच सहित जिला न्यायालयों में सरकार से संबंधित कई न्यायालयीन प्रकरणों पर कार्रवाई चल रही है। इसी तरह हर दिन कई प्रकरण न्यायालय में भी पहुंच रहे हैं। इन प्रकरणों को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सरकार के अन्य विभागों को कई बार निर्देशित किया गया है कि समय पर इनकी जानकारी हाईकोर्ट में भेजे, लेकिन ज्यादातर विभाग इन निर्देशों को अमल में नहीं ला रहे हैं। इसके कारण सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों को कई बार हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत भी होना पड़ा है और फटकार भी सुननी पड़ी है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागाध्यक्ष, सभी संभागायुक्त, सभी जिलाधीशों सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है, जिसमें निर्देशों पर अमल करने की बात कही गई है।
पहले भी कई बार लिखा पत्र
सरकार के न्यायालयीन प्रकरणों को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने पहले भी कई बार सभी विभागों एवं अधिकारियों को पत्र लिखकर अपनी व्यथा बताई है, लेकिन इसके बाद भी अब तक कोई अमल नहीं किया गया है। बार-बार वही गलतियां दोहराई जा रही है। इसके कारण सामान्य प्रशासन विभाग को बार-बार हाईकोर्ट की फटकार सुननी पड़ रही है और हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत भी होना पड़ रहा है। अब सामान्य प्रशासन विभाग ने हाल ही में एक पत्र और सभी विभागों एवं अधिकारियों को लिखा है, ताकि जीएडी के निर्देशों पर अमल किया जा सके।
उपयुक्त प्रभारी अधिकारी ही करें नियुक्त
सामान्य प्रशासन विभाग को महाधिवक्ता मध्यप्रदेश द्वारा बताया गया है कि विभागों के न्यायालयीन प्रकरणों को लेकर विभागों की लापरवाही लगातार सामने आ रही है। इसके कारण कई मौकों पर हाईकोर्ट की फटकार भी लग चुकी है। ज्यादातर न्यायालयीन मामलों में विभागों द्वारा ऐसे प्रभारी अधिकारी नियुक्त कर दिए जाते हैं, जो अनुभवहीन है। इसके कारण वे अपना पक्ष भी बेहतर तरीके से पेश नहीं कर पाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे अनुभव वाले अधिकारियों को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया जाए, ताकि वह मामले की गंभीरता को समझे और अपने विभाग का पक्ष मजबूती के साथ रख सके।