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रेत ठेकेदारों से कब वसूले जाएंगे 8.44 करोड़

Update: 2019-02-18 15:05 GMT

खनिज निगम ने नहीं किया स्टाम्प और पंजीकरण फीस का आरोहण

विशेष संवाददाता भोपाल

मप्र खनिज निगम लिमिटेड ने अप्रेल 2013 और मार्च 2014 में हरदा, होशंगाबाद, खरगोन और टीकमगढ़ जिलों में 64.31 लाख घनमीटर की वार्षिक उत्पादन क्षमता के साथ 37 रेत खदानों के पट्टे की अवधि अप्रेल 2010 से मार्च 2020 तक के लिए बढ़ा दी। रेत खदानों की उत्पादन क्षमता के आधार पर इन खदानों के लिए नवीन पट्टे को निष्पादित करने और पंजीकृत करने में विफलता के चलते मप्र शासन को 8.44 करोड़ के स्टाम्प तथा पंजीकरण फीस से वंचित रहना पड़ा।

शासन द्वारा मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम लिमिटेड को आवंटित रेत खदानों को जून 2014 में अप्रेल 2010 से 10 वर्षों के लिए विस्तारित किया था। शासन ने विस्तारित अवधि के लिए पूरक अनुबंधों के निष्पादन और पंजीयन के निर्देश दिए थे। खनिज निगम ने चार जिलों हरदा, होशंगाबाद, खरगोन और टीकमगढ़ जिलों में 64.31 लाख घनमीटर की वार्षिक उत्पादन क्षमता के साथ 37 रेत खदानों के पट्टे की अवधि अप्रेल 2010 से मार्च 2020 तक अगले दस वर्ष के लिए बढ़ा दी। इन खदानों के लिए पूरक अनुबंधों को खनिज निगम ने निष्पादित और पंजीकृत नहीं किया, जबकि मप्र गौण खनिज नियमों के नियम 26 में यह अनिवार्य था। इस तरह खनिज निगम लिमिटेड की लापरवाही के चलते शासन को 8.44 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।

खनिज निगम पचा गया 136.69 करोड़

मप्र राज्य खनिज निगम लिमिटेड ने सात जिलों में वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक की अवधि में 386 रेत खदानों के 372 मामलों में ठेकेदारों ने 226.29 लाख घनमीटर रेत की अनुबंधित मात्रा के विरुद्ध 109.13 लाख घनमीटर का खनन किया। ठेकेदारों ने रेत की अनुबंधित मात्रा पर 257.91 करोउ़ की रॉयल्टी का भुगतान किया। इस तरह मप्र खनिज निगम लिमिटेड ने शासकीय खाते में वास्तविक रूप से कम खपत और प्रेषित मात्रा की रेत पर प्राप्त होने वाले राजस्व केवल 121.22 करोड़ जमा किए। खनिज निगम ने शासन को 136.69 करोड़ की रॉयल्टी जमा नहीं की, क्योंकि मप्र शासन के साथ खनिज निगम के लीज अनुबंध में ठेकेदारों से खनिज निगम द्वारा प्राप्त रॉयल्टी की सम्पूर्ण राशि जमा करना निर्धारित नहीं किया था।

लापरवाही से लगा 95.69 लाख का चूना

जिला खनिज अधिकारी सीधी ने जून 2013 में एक ठेकेदार को एनएच-75 के सडक़ निर्माण कार्य के लिए रेत खनन का परमिट जारी किया था। जिला खनिज अधिकारी ने एक उप ठेकेदार को अस्थायी परमिट जारी किया जो मूल ठेकेदार के अतिरिक्त था और जिसके लिए शासकीय अभिकरण द्वारा कार्य नहीं दिया गया था। इस आदेश में रेत की मात्रा का उल्लेख नहीं किया गया। उप ठेकेदार ने एक लाख घनमीटर की मात्रा के लिए पर्यावरण स्वीकृति हेतु आवेदन किया, लेकिन रेत की मात्रा पर अग्रिम रॉयल्टी वसूल नहीं की गई थी। सौ रुपये प्रति घनमीटर की दर से एक लाख घनमीटर रेत के लिए ठेकेदार ने एक रोड़ रुपये देय रॉयल्टी के स्थान पर कुल 4 लाख 31 हजार रुपये वसूले जा सके। इस तरह सरकार को 95.69 लाख राजस्व कम मिल सका। विभाग ने उचित कार्रवाई का आश्वासन तो दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी।    

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