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आचार संहिता के फेर में फंसेगी किसानों की पेंशन

Update: 2019-02-13 17:32 GMT

विशेष संवाददाता भोपाल

कृषि ऋण माफी के बाद कमलनाथ सरकार लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश के बुजुर्ग किसानों के लिए पेंशन योजना लाने की तैयारी कर रही है। सरकार की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव से पहले किसानों की पेंशन योजना को लागू किया जाएगा, लेकिन इस योजना के लाभार्थियों के चिन्हांकन और फिर इसके बाद इनके पंजीयन में लगने वाले समय ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। मार्च के पहले सप्ताह तक यदि संभावित लाभार्थियों के सही संख्या नहीं मिली तो फिर यह योजना लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के फेर में फंस सकती है। मार्च के पहले सप्ताह में आम चुनाव की घोषणा संभावित है।

किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के साथ सहकारिता विभाग किसानों की इस पेंशन योजना पर काम कर रहा है। कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में बुजुर्ग किसानों को पेंशन देने का वचन दिया था। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार पेंशन योजना में 60 वर्ष से इससे अधिक आयु के बुजुर्ग किसानों को प्रतिमाह एक हजार रुपए पेंशन के रूप में दिए जाएंगे। इस पेंशन योजना से सरकार पर सलाना करीब 12 हजार करोड़ का वित्तीय भार आएगा। प्रदेश में किसानों की संख्या करीब 60 लाख है। इनमें से ऐसे किसानों की पहचान की जानी है जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है और छोटे तथा सीमांत किसान हैं। सरकार की कोशिश है कि 15 मार्चके पहले इनकी पहचान की कवायद पूरी कर ली जाए और नए वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल से किसानों को पेंशन मिलनी शुरू हो जाए। सूत्रों के मुताबिक सरकार चाहती है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले इस पेंशन योजना को लागू कर पंजीयन की कार्यवाही शुरू कर दी जाए ताकि आचार संहिता के बीच किसानों को लाभ मिलता रहे। सरकार की इस मंशा को भांपते हुए दोनों विभागों के अधिकारियों ने इस योजना के लेकर काम तेज कर दिया है। प्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव इन दिनों संभागीय मुख्यालयों में लगातार बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में वे संभागीय अधिकारियों को बुजुर्ग किसानों का डेटा तैयार करने के लिए भी कह रहे हैं।

पेंशन के पीछे सरकार की मंशा

पेंशन योजना के जरिए सरकार उन छोटे और सीमांत किसानों की परेशानी दूर करना चाहती है जिन्हें पिछले कई सालों में अपनी उपज का वाजिव दाम नहीं मिला। फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बावजूद छोटे किसानों के लिए कृषि लगातार घाटे का सौदा बन रहा है। इसके अलावा इसका राजनीतिक पहलु भी है। सरकार लोकसभा चुनाव में भी किसानों को समर्थन चाहती है, इसलिए चुनाव से पहले ही पेंशन योजना को लागू करने की उसकी मंशा है।

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