तबादलों पर मच रहा बबाल
प्रशासनिक संवाददाता ♦ भोपाल
मध्य प्रदेश में चल रही अधिकारियों के ताबड़तोड़ तबादलों की बयार के बीच सरकार की तरफ से बयान आया है। कमलनाथ सरकार में वित्त मंत्री तरुण भनोट ने प्रदेश में हो रहे तबादलों पर मच रही हाय-तौबा पर एक बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार बदलती है तो अधिकारी भी बदलते हैं। ऐसा पहली बार किसी राज्य में नही हो रहा है। तत्कालीन भाजपा सरकार के समय मे भी अधिकारियों के तबादले होते थे। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के उस आरोप का स्पष्टीकरण दिया कि मध्यप्रदेश में तीन मुख्यमंत्री सत्ता का संचालन कर रहे हैं और एक दिग्विजय सिंह सुपर सीएम हैं। श्री भनोट ने कहा कि सरकार में कोई सुपर पावर नहीं है। मुख्यमंत्री कमलनाथ 9 बार लगातार सांसद रहे हैं, उन्हें किसी सुपर पावर की जरूरत नही है।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस अधिकारियों के तबादलों पर सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बार-बार के तबादलों से अधिकारियों का मनोबल गिरता है। तबादलों के जरिए अराजकता का माहौल बन रहा है। मुख्यमंत्री के नाम पर कोई सुपर पावर तबादलों में जुटा है। शिवराज ने यह भी कहा कि 15 दिन में अधिकारी को बदल देने से प्रशासनिक व्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। बता दें कि हाल में विपक्षी दल भाजपा ने मध्यप्रदेश में हो रहे तबादलों को लेकर कड़ा ऐतराज जताया था। जिसके जबाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि अभी तो ये ट्रेलर है। सरकार ने पिछले 55 दिन में 736 अधिकारियों के तबादले किये इसमें डेढ़ महीने पहले स्पेशल डीजी इंटेलिजेंस बने संजय राणा का भी नाम है। शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने का समय मांगा है। वे किसानों के मुद्दे पर मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। और प्रदेश में धान खरीदी में किसानों की शिकायतों की जानकारी देंगे। शिवराज ने किसान कर्ज माफी के मामले में कांग्रेस सरकार से स्पष्ट नीति बनाने की मांग की है और 10 दिन में कर्ज माफी के ऐलान पर अमल नहीं होने पर सवाल उठाए हैं।
शासनिक सर्जरी में नाथ ने दिखाए तेवर
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने के बाद ही अधिकारियों को तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। सरकार ने पहले दिन से ही संदेश देने की कोशिश की है कि प्रदेश की व्यवस्था सरकार की मर्जी से चलेगी, न कि नौकरशाहों की मनमर्जी से। यह वजह है कि अब तक सरकार को काम करते 55 दिन से ज्यादा हो गए हैं और 45 बार तबादला आदेश जारी किये गए हैं । यानी औसत 1.3 आदेश हर दिन जारी हुए। नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से लेकर 8 फरवरी तक में कुल 45 आदेश जारी हो चुके हैं। इन एक-एक आदेश में एक से लेकर 25-30 की संख्या में भी तबादले हुए, जबकि एक आदेश ऐसा भी जारी हुआ जिसमें लगभग 186 पुलिस अधिकारियों को इधर से उधर किया गया। इसी से पता चलता है कि सरकार किस तरह से काम कर रही है।
पिछले माह 17 आदेश जारी किए गए
इस दौरान अकेले जनवरी माह में ही तबादले के कुल 17 आदेश जारी हुए। इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के थोकबंद तबादले भी हुए। फरवरी माह में एक से लेकर 7 फरवरी तक में कुल 6 आदेश जारी हुए। 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री की शपथ के बाद 14 दिनों में कुल 17 तबादला आदेश जारी हुए। इसमें सबसे अधिक 26 दिसंबर को एक ही दिन 6 आदेश जारी हुए। इससे पता चलता है कि सरकार महज नीतिगत निर्णय लेने में नहीं बल्कि तबादला आदेश जारी करने में भी अव्वल है। इसके जरिए सरकार ने नौकरशाहों को यह भी बताने की कोशिश की है कि यह महज तबादले नहीं हैं बल्कि एक संदेश भी है कि सरकार नौकरशाहों से हर तरह का कार्य लेने में सक्षम है।