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करोड़ों के घाटे में चल रही बिजली कंपनियों का निकलेगा दीवाला!

Update: 2019-02-08 15:55 GMT

♦ पहले सरकारी विभाग ही लगा रहे थे कंपनियों को चूना अब किसान एवं आम उपभोक्ताओं को देने वाले लाभ से बढ़ेगी परेशानी वचन निभाने के लिए कांग्रेस सरकार ने की थी बिजली से जुड़ी हुई कईं घोषणाएं

प्रशासनिक संवाददाता ♦ भोपाल

प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपने वचन पत्र में किए गए वायदों को पूरा करने के लिए 10 हार्सपॉवर तक के किसानों को बिजली आधी कीमत पर देने का निर्णय लिया है। इसी तरह 100 यूनिट तक बिजली जलाने वाले उपभोक्ताओं को सिर्फ 100 रुपए ही देने पड़ेंगे। यानी एक रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल आएगा। लेकिन इन निर्णयों के कारण पहले से करोड़ों के घाटे में चल रही बिजली कंपनियों का और दीवाला निकलेगा।

प्रदेश की ज्यादातर बिजली कंपनियां करोड़ों रुपए के घाटे में चल रही है। इन कंपनियों का यह घाटा साल-दर-साल बढ़ता ही जा रही है। मार्च-2017 की स्थिति में मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड जबलपुर 787.76 करोड़ तथा मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड भोपाल 1233.11 करोड़ के घाटे में थी। मार्च-2018 में इनका यह घाटा और ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि इस दौरान मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर जरूर फायदे में रही है। लेकिन इंदौर के अलावा अन्य कंपनियों की स्थितियां बेहद गंभीर है।

सरकारी विभाग ही लगा रहे चूना

प्रदेश की बिजली कंपनियों को चूना लगाने में सरकारी महकमे ही सबसे आगे हैं। सरकार के विभागों के कारण ही इन कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी पर सरकारी विभागों का करीब 242 करोड़ रुपए बकाया है। इसी तरह मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का 133 करोड़ रुपए, पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के भी करीब 18 करोड़ रुपए सरकारी विभागों पर बकाया हैं। इनके अलावा पूर्व क्षेत्र कंपनी पर कुल बकाया राशि 1981 करोड़, मध्य क्षेत्र कंपनी पर 5267 करोड़ रुपए और पश्चिम क्षेत्र पर भी करीब 2324 करोड़ रुपए की राशि बकाया है।

और भी हैं कई हानियां

बिजली कंपनियों को और भी कई तरह की हानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियां भी शामिल हैं। पिछले वर्ष तकनीकी हानियां करीब 12 प्रतिशत तो वाणिज्यिक हानि करीब 13 प्रतिशत थी। इन हानियों के पीछे मुख्य कारण कृषि भार का कुल भार 35 प्रतिशत होना सामने आया है। इसी तरह वाणिज्यिक हानि की मुख्य वजह बिजली चोरी, कृषि उपभोक्ताओं को फ्लैट रेट पर विद्युत प्रदाय तथा खराब और बंद पड़े मीटरों से होना बताया गया है। हालांकि विभाग द्वारा इन हानियों को कम करने की कवायद भी शुरू की गई, लेकिन यह प्रयास भी इन कंपनियों को घाटे से उबार पाने में असफल साबित हुए हैं।

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