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इस जांच से मध्यप्रदेश के मुखिया पड़ सकते है मुश्किल में, जानें क्या है मामला

Update: 2019-05-22 03:49 GMT

लखनऊ/भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ बड़े संकट में फंस सकते हैं। पिछले महीने उनके सहयोगियों के यहां आयकर के छापे के बाद उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार कमलनाथ के परिवार द्वारा संचालित प्रसिद्ध आईएमटी संस्थान के खिलाफ एक जांच शुरू करने जा रही है। हाल ही में उनके भतीजे रातुल पुरी से वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में ईडी ने पूछताछ की थी। भाजपा ने कमलनाथ के आईएमटी कॉलज पर फर्जी तरीके से गाजियाबाद के मध्य 15 एकड़ प्रमुख जमीन हथियाने का आरोप लगाया है।भाजपा नेता राजेंद्र त्यागी के अनुसार, यह जमीन सरकार द्वारा संचालित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) की है।

त्यागी की शिकायत पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है, जिसमें आईएमटी कॉलेज को फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये की जमीन आवंटित किए जाने की जांच शुरू करने के लिए कहा गया है। आईएमटी की वेबसाइट से पता चलता है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना कमलनाथ के पिता महेंद्र नाथ ने 1970 के दशक में की थी। मौजूदा समय में आईएमटी कॉलेज के पास देश में निजी बी स्कूलों में उच्च रैंकिंग प्राप्त है। शिकायतकर्ता और गाजियाबाद के कॉर्पोरेटर राजेंद्र त्यागी ने कहा कि उनके पास दस्तावेजी सबूत हैं, जिससे साबित होता है कि आईएमटी ने सीसीएसयू की जमीन हड़पी है।

त्यागी ने कहा कि दस्तावेज बताते हैं कि आईएमटी को यूपीएसआईडीसी ने 1973 में राजेंद्रनगर एक्सटेंशन में एक जमीन आवंटित की थी। इसी जमीन पर संस्थान स्थापित होना था। हालांकि यूपीएसआईडीसी के भूखंड पर आईएमटी का दूरवर्ती अध्ययन केंद्र स्थापित है, जबकि आईएमटी का मुख्य परिसर पास की एक जमीन पर स्थित है, जिसका स्वामित्व सीसीएसयू के एल.आर. डिग्री कॉलेज के पास है। आईएमटी के निदेशक के कार्यालय की एक महिला अधिकारी को फोन पर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

इस बीच कमलनाथ के एक घनिष्ठ सहयोगी ने कहा कि भाजपा नेता द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और आईएमटी भूमि सौदा मामले की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जांच शुरू करना कमलनाथ परिवार को प्रताड़ित करने के लिए है। पिछले महीने कमलनाथ से जुड़े प्रवीण कक्कड़ और राजेंद्र मिगलानी के यहां भोपाल और मध्य प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों और दिल्ली-एनसीआर में स्थित उनके कुछ परिसरों में आयकर विभाग ने छापे मारे थे। बाद में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी ने बताया था कि आईटी ने इन छापों के दौरान 281 करोड़ रुपये मूल्य की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया था।

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