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लोकसभा चुनाव : आचार संहिता लगने से अटकी किसानों की कर्जमाफी

Update: 2019-03-11 10:26 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार अपने वचन पत्र के अनुसार किसानों की कर्जमाफी की योजना का क्रियान्वयन कर रही थी, ताकि उसे लोकसभा चुनाव में इसका लाभ मिल सके, लेकिन लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही रविवार शाम को आचार संहिता लागू हो गई। इससे कर्जमाफी योजना पर भी ब्रेक लग गया। हालांकि, सरकार ने आचार संहिता लगने से पहले ही मोबाइल पर किसानों को मैसेज भेजकर माफी मांग ली है। मैसेज में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के चलते कर्जमाफी नहीं हो पा रही है। चुनाव के बाद आपका कर्जमाफ हो जाएगा। प्रदेश के सभी किसानों को इस तरह का मैसेज भेजा गया है।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार बनने के बाद प्रदेश के किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्जा 10 दिन में माफ हो जाएगा। इस घोषणा को पार्टी ने अपने वचन पत्र (मैनिफेस्टो) में भी शामिल किया था। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार को ढाई महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। हालांकि, कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही किसान कर्जमाफी की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिये थे और इस योजना का क्रियान्वयन भी शुरू हो गया था। सरकार ने दावा किया था कि प्रदेश के 55 लाख किसानों का कर्ज माफ होगा। ढाई महीने में प्रदेश के 25 लाख किसानों को कर्जमाफी के प्रमाण पत्र वितरित भी कर दिये गये हैं, लेकिन अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से इस योजना पर ब्रेक लग गया। विपक्ष के लिए यह चुनावी मुद्दा बन गया है।

पूर्व सीएम और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने कर्जमाफी योजना पर निशाना साधा है। उन्होंने सोमवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार ने आचार संहिता लगने से पहले ही किसानों से माफ़ी मांग ली। कांग्रेस के लोग यही प्रार्थना कर रहे थे कि कब आचार संहिता लगे और उनका पीछा छूटे। आचार संहिता से पहले ही किसानों को मैसेज भेज दिए कि अब लोकसभा चुनाव के बाद कर्जमाफी होगी। दरअसल, रविवार को शाम पांच बजे भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावों की तारीखों की घोषणा की। इससे पहले ही किसानों को मुख्यमंत्री कमलनाथ का संदेश पहुंच गया कि आचार संहिता के कारण कर्जमाफी नहीं होगी, लोकसभा चुनाव के बाद कर्जमाफी स्वीकृत होगी।

किसानों को पहुंचे मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इसको लेकर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा ने कहा वोट के लिए हुए षड्यंत्र का खुलासा हो गया है कांग्रेस ने ऋण माफी का झूठ बोला था। पूर्व सीएम शिवराज ने मीडिया से चर्चा में कहा सरकार ने जो वादे किये वो खोखले थे, ढाई महीने में कलई खुल गई, सरकार का रंग उतर गया। कर्जमाफी का सच सामने आ गया है। इतने उतावले थे कि आचार संहिता लगने से पहले किसानों से माफ़ी मांग ली कि अब कर्जमाफी नहीं होगी, ताकि उनका पिंड छूटे। किसान परेशान हैं। धान उठाई नहीं गई, सोयाबीन के 500 रुपये क्विंटल नहीं दिए। प्याज के लिए किसान आंसू बहा रहा है, ओले पाले का पैसा मिल नहीं रहा। तबादलों से कलेक्टर और एसपी परेशान हैं। प्रदेश में सरकार नहीं व्यापार चल रहा है।

वहीं, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने ट्वीट किया है कि "वोट के लिए हुए षड्यंत्र का खुलासा, कांग्रेस ने ऋण माफी का झूठ बोला था। अभी इस समय तक लोकसभा चुनाव की आचार संहिता नहीं लगी है लेकिन कमलनाथ सरकार ने किसानों को मैसेज भेज दिए हैं कि आचार संहिता लगने के कारण आपकी ऋण माफी नहीं हो पा रही है, यह गंभीर मामला है। जांच जरूरी है।" 

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