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आईएएस अधिकारी के लेख से मचा बवाल

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी के आईएएस अधिकारियों की कार्यशैली पर लिखे लेख ने राजनैतिक व प्रशासनिक क्षैत्र में बवाल मचा दिया है।

Update: 2018-07-03 06:40 GMT

मंत्री आर्य ने कहा, दीपाली रस्तोगी की सोच है गलत

भोपाल | वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी के आईएएस अधिकारियों की कार्यशैली पर लिखे लेख ने राजनैतिक व प्रशासनिक क्षैत्र में बवाल मचा दिया है। सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य का कहना है कि महिला आइएएस अधिकारी की सोच गलत है मैं नही मानता कि आईएएस अधिकारी नेताओं के इशारों पर काम करते हैं। आर्य ने आज मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मैं नहीं मानता कि अफसर नेताओं के इशारों पर काम करते हैं।सरकार द्वारा जनहित के किसी भी काम को कभी रोका नहीं गया। अगर आईएएस होते हुए वो इस तरह से सोचती हैं तो ये सोच उचित नहीं है।

बता दे कि प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता मिशन पर सवाल खडी करने वाली वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी ने अब आईएएस अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए है।उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में कहा है कि अच्छा अधिकारी उसी को माना जाता है, जो नेता की इच्छा के हिसाब से काम करता है।उनके इस लेख के बाद से बवाल मच गया है। दीपाली रस्तोगी 1994 बैच की आईएएस है। उनके पति मनीष रस्तोगी, जो खुद सीनियर आईएएस है, कुछ दिन पहले ही ई-टेंडरिंग टेंपरिंग घोटाले को उजागर करने को लेकर चर्चाओं में रहे है।

गौरतलब है कि आईएएस दीपाली रस्तोगी एक अंग्रेजी अखबार के लेख में लिखा है कि अच्छा आईएएस अधिकारी वही माना जाता है जो नेता की इच्छा के अनुरूप काम करें। इतना ही नहीं बगैर राजनीति आका के बोलने से पहले ही उसकी इच्छा जान ले, उसके अमल के लिये तैयार हो जाता है। नेताओं के डर से ऐसे अधिकारी मुंह नहीं खोलते। सेवा करने के लिए बने आईएएस सेवा का व्यवहार ही नहीं करते। लोग हमारा सम्मान सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि हमारे पास नुकसान और फायदा पहुंचाने की ताकत होती है। हम लोगों की कोई दूरदृष्टि नहीं, नेताओं को खुश करने वाले निर्णय लेते हैं ।व्यवस्था सुधारने के लिए दरअसल हम काम ही नहीं करते और यह डर रहता है कि व्यवस्था बेहतर कर दी तो कोई पूछेगा ही नहीं ।

दीपाली ने यह भी कहा कि हम लोग लोक सेवा नहीं करते, देश से कोई लगाव भी नहीं। बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं और लग्जरी जीवन जी रहे हैं। दीपाली ने यहां तक कह दिया कि देश में सही न्याय होता तो हमारी कौम बहुत ही पहले खत्म हो जाती या दुर्लभ होती । लेटरल एंट्री के सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नेताओं को खुश करने उनके हिसाब से काम करने ,झूठ और सच को सही और गलत में अंतर खत्म करने के मूल विचार खत्म हो गए हैं।


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