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भाजपा CAA समर्थन : महात्मा गांधी और नेहरू ने कहा - मोदी सरकार ने पूरा किया

Update: 2019-12-27 05:30 GMT

भोपाल। प्रदेश में विपक्ष के धरना-प्रदर्शन और रैलियों के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के पक्ष में भाजपा सड़कों पर उतरने जा रही है। पूरे प्रदेश में एक साथ गोष्ठियां होंगी और 14 जनवरी से पहले बड़ी रैली की जाएगी। इसके साथ ही 30 दिसंबर को ट्विटर पर पूरे भाजपाई एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देंगे।

यह भाजपा की प्रदेश कोर कमेटी ने तय किया है। गुरुवार को इसी संबंध में सांसदों, विधायकों, महापौर और प्रमुख लोगों की पार्टी दफ्तर में बैठक बुलाई गई, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने स्पष्ट किया कि भाजपा किसी भी तरह से भारत में रहने वाले मुसलमानों के विरुद्ध नहीं है।

कांग्रेस भ्रम फैला रही है, जबकि महात्मा गांधी ने विभाजन के समय और बाद में जवाहरलाल नेहरू, पट्टाभि सीतारमैया से लेकर कई नेता कहते रहे कि जो हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक पाकिस्तान में रह गए हैं, वे यदि भारत आना चाहें, तो आ सकते हैं। उनके जीवनयापन व सुरक्षा का दायित्व भारत सरकार का होगा, लेकिन कांग्रेस सरकार में इस पर अमल नहीं हुआ। मोदी सरकार ने एक्ट बनाया। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि यही बात अब जनता को बताई जाएगी।

बैठक में पार्टी के प्रदेश प्रभारी व सांसद डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गनसिंह कुलस्ते, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव एवं प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत मौजूद रहे। संचालन रामेश्वर शर्मा ने किया। बाद में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी पहुंचे।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, आजादी के समय पाकिस्तान में जो हिंदू, सिख अल्पसंख्यक 22% थे, अब घटकर 2% से भी कम रह गए हैं। कहां गए बाकी लोग? इनमें से लाखों लोगों का डरा-धमकाकर धर्मांतरण करा दिया गया, लाखों लोगों को मार डाला और कुछ भारत आ गए। उनके लिए भारत ही इकलौता सहारा था। इन्हीं शरणार्थियों को मोदी सरकार हक दे रही है।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा सीएए के बारे में कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है। इस दुष्प्रचार से जनता को बचाना है। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि राज्य में यह कानून लागू नहीं होगा, जबकि इस कानून को लोकसभा और राज्यसभा ने पास किया है और यह संविधान में एक संशोधन है, इसलिए कोई भी राज्य इसे लागू करने से इंकार नहीं कर सकता। 

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