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भू-राजस्व संहिता में बदलाव से भू-माफियाओं के हौसले बुलंद

सरकारी बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने पर जुर्माना अब केवल एक लाख

Update: 2018-07-13 06:24 GMT

विशेष संवाददाता/भोपाल। प्रदेश में सरकारी व गैर सरकारी बेशकीमती जमीनों पर कब्जा होना आम बात है। सरकार ऐसे मामलों पर रोक लगा पाने में लगातार असफल हो रही हैं। इस तरह के कब्जे दंबगों के साथ ही राजनैतिक रसूख रखने वाले लोगों द्वारा किया जाता है, जिसकी वजह से सरकार व अफसर असहाय हो जाती है। ऐसे कब्जेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाही करने के बजाय सरकार ने उन्हें राहत देने के लिए बस जुर्माना की राशि एक लाख रुपए तक सीमित कर दी है। जबकि इसके पहले तक कब्जा की गई जमीन की कीमत के बीस फीसदी तक जूर्माना वसूल करने का प्रावधान था। इस नए नियम ने भू माफियाओ के हौसले और बुलंद कर दिए है। जुर्माना की राशि कम करने की जो बजह सरकार द्वारा बताई गई है वह काफी हास्यापद है। सरकार का मानना है कि पूर्व में जो जुर्माना के लिए पा्रवधान था वह अव्यावहारिक था , जिसकी वजह से जुर्माना की राशि कभी वसूल ही नहीं हो पाती थी। सरकार द्वारा किए गए भू-राजस्व संहिता में इस बदलाव को शामिल किया है। वहीं, अकाल या अन्य प्राकृतिक आपदा की सूरत में प्रभावी होने वाले सडक़ या अन्य निर्माण कार्यों में श्रमदान के प्रावधान को भी सरकार ने रद्द कर दिया है। नए प्रावधानों के मुताबिक निजी भूमि पर अतिक्रमण प्रमाणित होने पर 50 हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। प्रभावित व्यक्ति को प्रति हेक्टेयर दस हजार रुपए क्षतिपूर्ति भी मिलेगी। भू-राजस्व एक साथ दस साल का जमा करने की सुविधा भी दी जाएगी। अभी हर साल भू-राजस्व जमा करना होता है। इसी तरह भू-राजस्व संहिता की धारा 253 में अकाल या प्राकृतिक आपदा की सूरत में श्रमदान को अनिवार्य किया गया था। ऐसा नहीं करने पर दंडित करने की व्यवस्था रखी गई थी पर अब स्थितियां बदल गई हैं। सूखा या अतिवृष्टि के हालात में ग्रामीण को रोजगार देने मनरेगा के काम खोले जाते हैं। इसके लिए बाकायदा मजदूरी भुगतान भी होता है। ऐसे में इस प्रावधान का कोई मतलब नहीं रह गया था।

मिलेगा भू-स्वामी के अधिकार

सूत्रों के मुताबिक भू-राजस्व संहिता में बदलाव से आबादी क्षेत्र प्रभावित होंगे। दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में जो भी लोग रह रहे हैं, उनके पास पट्टे या अन्य भू-अधिकार पत्र तो हैं पर वे भू-स्वामी नहीं हैं। नए प्रावधान में इन्हें विधिपूर्वक कब्जा दिया जाएगा। बाकायदा आबादी क्षेत्र का नक्शा व खसरा बनेगा। हर एक रहवासी का रिकार्ड तैयार होगा। दावे-आपत्ति भी बुलाए जाएंगे।

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