छत्तीसगढ़ के विकास के बिना भारत के विकास की कल्पना नहीं: राष्ट्रपति कोविन्द

छत्तीसगढ़ में महसूस होता है अपनापन

Update: 2018-07-26 13:03 GMT

रायपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि बस्तर के विकास के बिना छत्तीसगढ़ के विकास की और छत्तीसगढ़ के विकास के बिना भारत के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। कोविन्द ने बस्तर सहित सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के जीवन में बदलाव लाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की प्रतिबद्धता को अनुकरणीय बताते हुए इसके लिए उन्हें और राज्य सरकार की पूरी टीम को तथा बस्तर की जनता को बधाई दी है।

राष्ट्रपति कोविन्द गुरुवार को बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के पास ग्राम डिमरापाल में स्वर्गीय बलिराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज के लिए लगभग 170 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पांच सौ बिस्तरों वाले विशाल अस्पताल भवन का लोकार्पण करने के बाद जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल भवन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का एक प्रमुख केन्द्र बनेगा। न केवल छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए चिकित्सा शिक्षा और सेवा का एक उच्चतर मानक स्थापित करेगा।

कोविन्द ने इस अवसर पर राज्य के 50 लाख लोगों को निःशुल्क स्मार्ट फोन देने के लिए राज्य सरकार की संचार क्रांति योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरे राज्य में 45 लाख महिलाओं और पांच लाख युवाओं को स्मार्ट फोन देने और बड़ी तादाद में मोबाइल टावर लगाने की राज्य सरकार की यह योजना इस क्षेत्र के विकास को एक नया आयाम देगी। यहां की आदिवासी महिलाएं और युवा मोबाइल बैंकिंग के साथ-साथ केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा मोबाइल फोन के जरिये दी जा रही अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि इस योजना में स्मार्ट फोन और मोबाइल टावर की सुविधाओं से कनेक्टिविटी की दृष्टि से बस्तर और बेंगलुरू के बीच का अंतर समाप्त कर देने की क्षमता है। मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि देश के ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में भी धीरे-धीरे आधुनिक सुविधाएं पहुंच रही है। कोविन्द ने प्रतीक स्वरूप कुछ हितग्राहियों को मोबाइल फोन देकर शुभकामनाएं दी।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के रूप में देश की बागडोर संभालने के एक वर्ष पूर्ण होने पर कोविन्द छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं। आज उनकी बस्तर यात्रा का दूसरा दिन है। संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के पास डिमरापाल की विशाल जनसभा में राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी दृष्टि में बस्तर के विकास के बिना छत्तीसगढ़ के विकास की और छत्तीसगढ़ के विकास के बिना भारत के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। आदिवासी भाई-बहन हमेशा मेरे चिंतन के केन्द्र में रहते हैं।

तब और आज के बस्तर में जमीन-आसमान का अंतर

उन्होंने कहा कि बस्तर और आसपास के क्षेत्रों से मैं भलीभांति परिचित हूं। लगभग पन्द्रह-सोलह वर्ष पहले मैं वरिष्ठ आदिवासी नेता बलिराम कश्यप के आमंत्रण पर बस्तर आया था। तब और आज के बस्तर में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। कोविन्द ने कहा कि आज और कल के दो दिन के प्रवास के दौरान मुझे एक बदलता हुआ बस्तर देखने को मिला, जहां आज विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज है, अच्छी सड़कें है, इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी है और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क है। साथ ही अब यहां रेल और नियमित हवाई सेवा भी उपलब्ध हो गई है। इन उपलब्धियों के पीछे जो दृष्टि, संकल्प और कर्मठता है तथा आदिवासी भाई-बहनों के जीवन में बदलाव लाने के लिए जो प्रतिबद्धता है, वह अनुकरणीय है। उन्होंने दंतेवाड़ा जिले के ग्राम हीरानारा के अपने प्रवास और वहां महिला स्व-सहायता समूहों और किसान समूहों की एकीकृत खेती प्रणाली, दंतेश्वरी ई-रिक्शा सेवा, दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी के आस्था विद्या मंदिर और सझम विद्यालय के बच्चों की प्रतिभा का भी आज की आमसभा में उल्लेख करते हुए उनकी तारीफ की।

राष्ट्रपति ने देशवासियों का आह्वान, साल में एक-दो दिन आदिवासी भाई-बहनों के बीच बिताएं

राष्ट्रपति ने जनसभा में देशवासियों का आह्वान किया कि वे साल में कम से कम एक या दो दिन प्रकृति की गोद में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों के बीच बिताएं, उनके दुःख दर्द को समझें और उनके जीवन को बेहतर बनाने का भरसक प्रयास करें। ऐसा प्रयास करने वाले हमारे देशवासियों को आनंद और संतोष का अनुभव होगा। साथ ही उन्हें आदिवासी भाई-बहनों से, प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीवन जीने की उनकी कला को सीखने का अवसर मिलेगा। कोविन्द ने कहा कि देशवासी अगर ऐसा कर सकें, तो उन्हें आदिवासियों की जीवन शैली और प्रकृति के साथ जुड़कर जीवन जीने की उनकी कला को देखने और समझने का भी अवसर मिलेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि देश की आत्मा गांवों में बसती है। यदि हम देश की जड़ों से परिचित होना चाहते हैं, तो हमें गांवों को भी देखना होगा।

राष्ट्रपति भवन पर प्रत्येक नागरिक का अधिकार

कोविन्द ने जनसभा में प्रदेशवासियों को राष्ट्रपति भवन आने का भी न्योता दिया। उन्होंने जनता से कहा कि राष्ट्रपति भवन सिर्फ राष्ट्रपति का निवास या कार्यालय भर नहीं है, बल्कि वह हमारे लोकतंत्र का प्रतीक और देश की धरोहर है। इसलिए राष्ट्रपति भवन पर प्रत्येक भारतीय नागरिक का अधिकार है। वह आप सबका भी भवन है। उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा कि आप जब दिल्ली आएं तो राष्ट्रपति भवन भी जरूर पधारें।

छत्तीसगढ़ में महसूस होता है अपनापन

कोविन्द ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अपने आदिवासी भाई-बहनों के बीच आकर मुझे हमेशा एक खास तरह का अपनापन महसूस होता है। इसलिए जब आज यहां आने के लिए मुझे डॉ. रमन सिंह जी का आमंत्रण मिला तो उसे स्वीकार करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हुई। श्री कोविन्द ने कहा कि यह आमंत्रण स्वीकार करने के पीछे एक कारण और भी था। कल 25 जुलाई को मेरे राष्ट्रपति कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हुआ। मैंने यह निर्णय लिया था कि उस दिन को दिल्ली से दूर, अपने आदिवासी भाई-बहनों और बच्चों के साथ बिताउंगा। इस तरह, बस्तर आने का आमंत्रण स्वीकार करके मुझे अपनी उस इच्छा को पूरा करने का सुअवसर मिला।

कोविन्द ने कहा कि बस्तर और आसपास के क्षेत्रों से मैं भलीभांति परिचित हूं। रामकृष्ण मिशन द्वारा नारायणपुर और अबूझमाड़ के दुर्गम आदिवासी इलाकों में काम करने का सेवाभाव मैंने स्वयं अपनी आंखों से देखा है। मई 2017 में , जब मैं बिहार का राज्यपाल था, तब मैं सरगुजा अंचल में आया था। राष्ट्रपति बनने के बाद पिछले वर्ष नवम्बर में मेरा छत्तीसगढ़ आना हुआ था। कोविन्द ने विशाल जनसभा में कहा कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में तथा छोटे शहरों में रहने वाले, अपेक्षाकृत पीछे रह गए देशवासियों के कल्याण के लिए देश में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। सबके सिर पर छत हो, इसके लिए गरीब परिवारों को मकान देने और उसमें टायलेट तथा पीने के पानी और बिजली की सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों के लिए नये-नये स्कूलों की स्थापना की जा रही है। आई.आई.टी और एम्स खोले जा रहे हैं। युवाओं को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें कम ब्याज पर बिना गारंटी लोन देने की व्यवस्था की जा रही है। युवाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिए हर तरह की सहायता दी जा रही है। श्री कोविन्द ने कहा कि दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी में चल रहे युवा बीपीओ में बस्तर क्षेत्र के लगभग एक हजार युवा देश और विदेश की कम्पनियों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है।

नक्सलवाद का हो रहा खात्मा

राष्ट्रपति ने देश के कुछ हिस्सों में नक्सलवाद से भ्रमित होकर कुछ लोगों द्वारा हिंसा और भय का वातावरण उत्पन्न करने के प्रयासों का भी उल्लेख किया और कहा कि हमारी संस्कृति और परम्परा में और हमारे संविधान में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। मुझे यह जानकर खुशी हो रही हैं कि प्रशासन और समाज के संवेदनशील लोगों ने नक्सलवाद के जाल में उलझे युवाओं का विश्वास जीता है। अब नक्सलवाद का खत्मा हो रहा है। बहुत से भटके हुए लोग, समाज और देश की मुख्य धारा में वापस लौट आए हैं। अहिंसा और विकास के बल पर, हिंसा और आतंक के दुष्प्रभाव को समाप्त करने की दिशा में यह बदलाव प्रशंसनीय है। उन्होंने इस बदलाव के लिए राज्य और केन्द्र सरकार के प्रयासों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने धमतरी की स्वर्गीय कुवंर बाई को भी याद किया

राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि गरीबों के हित में केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयासों में ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले हमारे अनेक देशवासी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और सामाजिक बदलाव का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। कोविन्द ने इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की स्वच्छतादूत स्वर्गीय कुवंर बाई और कम्प्यूटर साक्षरता के लिए एक आदर्श बन चुकी धमतरी जिले की ही 60 वर्षीय गोविन्दी बाई का जिक्र किया। कोविन्द ने दंतेवाड़ा एजुकेशन सिटी के आस्था विद्या मंदिर की छात्रा कुमारी इंदु मानिकपुरी को मिले अब्दुल कलाम इगनाइट अवार्ड और असम में नौगांव जिले के गरीब परिवार की महिला धावक हिमादास को 400 मीटर की दौड़ में विश्व स्तर पर भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल करने की भी तारीफ की। कोविन्द ने देश की सरहदों की रक्षा के लिए कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत और हौसले के साथ जुटे भारतीय सेना के जवानों की प्रशंसा की । उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में सियाचिन ग्लेशियर की अपनी यात्रा का भी जिक्र किया।



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