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वंदे भारत ट्रेन के लिए ग्वालियर वासियों को करना होगा इतना इंतजार

नई दिल्ली और भोपाल के बीच शताब्दी एक्सप्रेस ही दौड़ेगी

Update: 2019-12-11 00:30 GMT

ग्वालियर। वंदे भारत ट्रेन को रेलवे के अधिकारी नई दिल्ली से भोपाल तक चलाने की योजना बना रहे थे, लेकिन यह योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में जा चुकी है। देश में बनी पहली हाईस्पीड ट्रेन से यात्रा करने का सपना ग्वालियर के लोगों के लिए अब सपना ही रहेगा। 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने वाली हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत के दो रैक चल रहे हैं, जिनमें से एक नई दिल्ली से वाराणसी और दूसरा नई दिल्ली से कटरा के बीच चलाया जा रहा है। नई दिल्ली से कटरा के बीच चलने वाला रैक नई दिल्ली से भोपाल के बीच चलना था और इस रूट पर इस ट्रेन का ट्रायल करने योजना भी चल रही थी। रेलवे अधिकारियों ने यह योजना बनाई थी कि शताब्दी एक्सप्रेस के पुराने हो चुके कोचों को बदलकर ट्रेन वंदे भारत चलाई जाएगी, लेकिन फिलहाल इस कवायद पर ब्रेक लग गया है। माना जा रहा है कि नया रैक आने के बाद ही इस रेल मार्ग पर यह ट्रेने दौड़ेगी, इसमें कितना समय लगेगा यह स्पष्ट नहीं है, उम्मीद है की नए साल में नया रैक मिल सकता है। इस मामले में झांसी रेल मंडल के अधिकारी कुछ भी स्पष्ट बोलने को तैयार नहीं है।

कुछ दिनों पहले ही दौड़ाई थी ट्रेन

आरडीएसओ के अधिकारियों ने कुछ दिन पहले ही आगरा से झांसी के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डीजल इंजन के साथ एलएचबी कोचों का परीक्षण किया था, लेकिन यह परीक्षण सफल नहीं हो पाया। सूत्रों की मानें तो नए वर्ष में रैक मिलने के बाद वंदे भारत रैक के साथ ही परीक्षण किया जाएगा।

पहले दिल्ली से मथुरा तक होगा परीक्षण

रेलवे अधिकारियों की मानें तो वंदे भारत का रैक मिलने से पहले आरडीएसओ के अधिकारी दिल्ली से मथुरा के बीच पटरियों का परीक्षण करेंगे। दिल्ली से मथुरा के बीच ट्रायल के दौरान अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन की टीम भी मौके पर रहेगी। यह ट्रेन सेल्फ प्रपल्शन मॉड्यूल पर 200 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार तक चल सकती है। वंदे भारत रैक को चेन्नई में स्थित इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में तैयार किया जा रहा है।

मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता

वंदे भारत ट्रेन पूरी तरह से मेक इन इंडिया परियोजना का हिस्सा है। यह ट्रेन आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) चेन्नई में बनी है। आईएसएफ का दावा है कि वंदे भारत ट्रेन का रैक आयात किए जा रहे रैक की कीमतों के आधे खर्च में बन रहा है। ट्रेन में 16 चेयरकार कोच (एग्जीक्यूटिव और नॉन एग्जीक्यूटिव) हैं। ट्रेन में 14 नॉन एग्जीक्यूटिव कोच और दो एग्जीक्यूटिव कोच होंगे। एग्जीक्यूटिव कोच में 56 यात्री बैठ सकेंगे और नॉन एग्जीक्यूटिव कोच में 78 लोगों के बैठने की सुविधा होगी।

ये हैं ट्रेन की विशेषताएं

-ट्रेन सेल्फ प्रपल्शन मॉड्यूल पर 200 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की रफ्तार तक चल सकती है।

-यह ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेगी। अगले साल जनवरी में दिल्ली-भोपाल रेल मार्ग पर दौडऩे वाली देश की सबसे तेज गति की शताब्दी एक्सप्रेस की जगह ले सकती है। 16 कोच वाली यह ट्रेन सेट विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप और पूरी तरीके से भारतीय तकनीक एवं डिजाइन पर बनी है।

-इसे बनाने में केवल सौ करोड़ रुपए की लागत आई है, जो ट्रेन आयात करने से आधी है। मेट्रो की तरह ही इस ट्रेन के दोनों तरफ पर ड्राइविंग केबिन होंगे। इससे समय की बचत होगी। गति को तुरंत तेज व कम किया जा सकेगा। यात्रियों को सफर के दौरान झटके भी महसूस नहीं होंगे।

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