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आईपीसी-375 को लिंग निरपेक्ष बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

Update: 2018-11-12 08:04 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रेप की परिभाषा तय करने वाली भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 को लिंग निरपेक्ष बनाने की मांग पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून में बदलाव संसद का काम है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को विधायिका के समक्ष अपनी बात रखने की छूट दे दी।

याचिका में कहा गया था कि आईपीसी की धारा 375 केवल महिलाओं के खिलाफ रेप के बारे में है। याचिका में मांग की गई थी कि धारा 375 में पुरुषों और किन्नरों के यौन शोषण को भी जगह मिलनी चाहिए। धारा 375 संविधान के अनुच्छेद 14,15, और 21 का उल्लंघन करता है।

याचिका के मुताबिक सामाजिक बदनामी के डर से पुरुष और किन्नर अपने यौन शोषण के बारे में किसी को कुछ नहीं बताते हैं। इसी वजह से पुरुषों के यौन शोषण के मामले दर्ज नहीं हो पाते हैं। याचिका में धारा 377 को गैरकानूनी बताने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि इसमें सहमति से बने यौन संबंध की अनुमति दी गई है, लेकिन असहमति से बनाए गए यौन संबंध पर कुछ नहीं कहा गया है। 

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