मन की बात : केंद्र-राज्यों में एक साथ चुनाव पर बहस लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत - प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के मुद्दे पर चर्चा को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि यह देश की राजनीतिक संस्कृति बदलने वाले अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के 47वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में सभी चुनाव एक साथ कराने का मुद्दा उठाने के बाद इस पर चर्चा चल रही है। देश के प्रमुख राजनीतिक दलों की बात करें तो यह लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दल शिरोमणि अकाली दल, अखिल भारतीय अन्नाद्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने इसका समर्थन किया है। उनका कहना है कि इससे खर्च कम होगा और राजनीतिक मजबूरियों का कम से कम सामना करना पड़ेगा।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), द्रमुक, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), वामपंथी दलों और जनता दल (एस) ने प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि अलग-अलग चुनाव होने से राजनीतिक दलों पर जनता के हित में काम करने का दबाव बना रहता है। राजनीतिक दलों ने विधि आयोग को इस संबंध में अपनी राय दी। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत ने हाल ही में देशभर में सभी चुनाव एक साथ कराने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा था कि इसके लिए जरूरी कानूनी ढांचे को बनाए बिना लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की कोई संभावना नहीं है।
मोदी ने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अटल जी ने भारत को जो राजनीतिक संस्कृति दी उससे देश को बहुत लाभ हुआ और आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला है। उन्होंने कहा कि सुशासन को मुख्य धारा में लाने के लिए यह देश सदा अटल जी का आभारी रहेगा। उन्होंने कहा कि देश हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किये। पहला ये कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 प्रतिशत तक सीमित किया गया। दूसरा ये कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किये गए।
उन्होंने कहा कि कई वर्षों तक भारत में भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े जम्बो मंत्रिमंडल कार्य के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे। अटल जी ने इसे बदल दिया। उनके इस कदम से पैसों और संसाधनों की बचत हुई।
मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को 'सच्चा देशभक्त' बताते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को 5 बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था, क्योंकि उस समय लन्दन में पार्लियामेंट शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। 'एक और आज़ादी' अटल जी के कार्यकाल में ही इंडियन फ्लैग कोड बनाया गया और 2002 में इसे अधिकारित कर दिया गया। इस कोड में कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ। इसी के चलते अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया।
उन्होंने कहा कि 16 अगस्त को जैसे ही देश और दुनिया ने अटल जी के निधन का समाचार सुना, हर कोई शोक में डूब गया। एक ऐसे राष्ट्र नेता, जिन्होंने 14 वर्ष पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया था। एक प्रकार से गत 10 वर्ष से वे सक्रिय राजनीति से काफ़ी दूर चले गए थे। खबरों में कहीं दिखाई नहीं देते थे, सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आते थे। 10 साल का अन्तराल बहुत बड़ा होता है लेकिन 16 अगस्त के बाद देश और दुनिया ने देखा कि हिन्दुस्तान के सामान्य मानवी (मानव) के मन में ये दस साल के कालखंड ने एक पल का भी अंतराल नहीं होने दिया। अटल जी के लिए जिस प्रकार का स्नेह, जो श्रद्धा और जो शोक की भावना पूरे देश में उमड़ पड़ी, वो उनके विशाल व्यक्तित्व को दर्शाती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि केरल में भीषण बाढ़ के प्रभावित लोगों के साथ इन कठिन परिस्थितियों में पूरा देश खड़ा है। सुरक्षा बलों और आम जन की ओर से किए जा रहे राहत कार्यों की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रार्थना की कि ओणम देश को और ख़ासकर केरल को शक्ति दे ताकि वो इस आपदा से जल्द से जल्द उबर सकें।
उन्होंने कहा कि मानसून जहां किसानों के लिए नयी उम्मीदें लेकरआता है। भीषण गर्मी से झुलसते पेड़-पौधे, सूखे जलाशयोँ को राहत देता है लेकिन कभी-कभी ज्यादा बरस कर विनाशकारी बाढ़ का भी रूप ले लाता है। उन्होंने कहा, ''मेरी प्रार्थना है कि जो लोग इस प्राकृतिक आपदा में घायल हुए हैं, वे जल्द से जल्द स्वस्थ जो जाएं। मुझे पूरा विश्वास है कि राज्य के लोगों के जज़्बे और अदम्य साहस के बल पर केरल शीघ्र ही फिर से उठ खड़ा होगा।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदा की दुर्भाग्यपूर्ण घड़ी में ही मानवता के भी दर्शन होते हैं। कच्छ से कामरूप और कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर कोई अपने-अपने स्तर पर कुछ-न-कुछ कर रहा है। सुरक्षा बलों के केरल बाढ़ राहत में किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वायुसेना, नौसेना सेना, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आरएफ सभी ने राहत और बचाव अभियान में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। एनडीआरएफ की विशेष प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल अपनी क्षमता, समर्पण और त्वरित निर्णय कर परिस्थिति संभालने के प्रयास से हर हिन्दुस्तानी के लिए एक नया श्रद्धा का केंद्र बन गया है।