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राष्ट्रपति बोले - विक्रम साराभाई के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता

Update: 2018-08-12 09:57 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के जनक डॉ. विक्रम साराभाई को उनकी जयंती पर याद किया। उन्होंने कहा कि देश उनकी सेवाओं और योगदान को कभी भूल नहीं सकता।

राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर कहा, डॉ. साराभाई की 100वीं जयंती वर्ष में, भारतीय विज्ञान की महान विभूति और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के उस जनक की याद एक मार्गदर्शक वैज्ञानिक के रूप में करता हूं। देश उनकी सेवाओं और योगदान को कभी नहीं भूल सकता। पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। 30 दिसंबर 1971 को केरल में उनका निधन हुआ।

डॉ. साराभाई ने न सिर्फ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का इंटरव्यू लिया बल्कि उनके करियर के शुरुआती चरण में उनकी प्रतिभाओं को निखारने में अहम भूमिका निभाई। डॉ.कलाम ने खुद कहा था कि वह तो उस फील्ड में नवागंतुक थे। डॉ.साराभाई ने ही उनमें खूब दिलचस्पी ली और उनकी प्रतिभा को निखारा। डॉ. कलाम ने कहा था, 'प्रो. विक्रम साराभाई ने मुझे इसलिए नहीं चुना था क्योंकि मैं काफी योग्य था बल्कि मैं काफी मेहनती था। उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए पूरी जिम्मेदारी दी। उन्होंने न सिर्फ उस समय मुझे चुना जब मैं योग्यता के मामले में काफी नीचे था बल्कि आगे बढ़ने और सफल होने में भी पूरी मदद की। अगर मैं नाकाम होता तो वह मेरे साथ खड़े होते।'

देश में केबल टेलिविजन डॉ. साराभाई की देन है। उन्होंने नासा से संपर्क किया और 1975 में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलिविजन एक्सपेरिमेंट (साइट) की 1975 में स्थापना की, जिससे भारत में केबल टीवी का दौर शुरू हुआ। 

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