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ममता की रैली में नहीं आएंगे वामदल, विजयन को भेजना चाहती थीं न्योता

Update: 2018-10-09 05:54 GMT

कोलकाता/स्वदेश वेब डेस्क। केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रस्तावित महागठबंधन बनाने की जुगत में लगी ममता बनर्जी की कोशिशों को अपने गृह राज्य में झटका लगने की आशंका गहरा गई है। आगामी 19 जनवरी को ब्रिगेड परेड मैदान में होने वाली पार्टी की महारैली में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी समेत वामपंथियों को आमंत्रित करने की घोषणा भले ही कर दी है लेकिन वामपंथी इस फैसले पर अडिग हैं कि वे ममता बनर्जी का साथ कतई नहीं देंगे। मंगलवार को अलिमुद्दीन स्ट्रीट स्थित प्रदेश मुख्यालय में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि माकपा के केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि ममता बनर्जी के आह्वान को महत्व नहीं दिया जाएगा।

ज्ञात हो कि गत शुक्रवार को ही पार्टी की कोर कमेटी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि वे 19 जनवरी को ब्रिगेड परेड मैदान में होने वाली पार्टी की महारैली में केरल के मुख्यमंत्री पिन्नरई विजयन को आमंत्रित करेंगी, लेकिन उनकी घोषणा पर माकपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बैठक के बाद साफ कर दिया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी तरह का कोई गठबंधन नहीं होगा। इस बारे में माकपा के पूर्व राज्यसभा सांसद और महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्य माकपा नेतृत्व को साफ कर दिया कि पार्टी का मूल लक्ष्य केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाना और पश्चिम बंगाल की सत्ता से ममता बनर्जी को हटाना है। ऐसे में राज्य में किसी भी तरह का कोई समझौते या गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता है। इस बारे में पूछने पर मंगलवार को प्रदेश माकपा के एक अन्य बड़े नेता ने बताया कि ममता बनर्जी का साथ देने का मतलब है पश्चिम बंगाल से अपने आप को खत्म करना। इस राज्य में माकपा ने 35 सालों तक शासन किया है| माकपा का शासन तृणमूल के शासन से बेहतर था। सात सालों में ममता बनर्जी ने राज्य को जंगल राज में तब्दील कर दिया है। हर ओर हिंसा का माहौल है। ऐसे में तृणमूल को सत्ता से हटाने की बजाय अगर वामपंथी पार्टियां ममता बनर्जी का साथ देती हैं तो यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।

केरल के मुख्यमंत्री के ममता के कार्यक्रम में आने की संभावना के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि माकपा एक नीतिगत और अनुशासित पार्टी है। कोई भी नेता पार्टी लाइन से अलग हटकर व्यक्तिगत राजनीतिक फैसले नहीं ले सकता। खासकर तब जब इसका अर्थ राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मायने रखता हो। उन्होंने बताया कि सीताराम येचुरी पश्चिम बंगाल माकपा के प्रभारी हैं। ऐसे में जब उन्होंने साफ कर दिया है कि ममता बनर्जी के साथ किसी भी तरह का कोई राजनीतिक समझौता नहीं हो सकता तो फिर विजयन का तृणमूल की रैली में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए माकपा विपक्षी एकता की पक्षधर है लेकिन उसमें ममता बनर्जी की कुछ खास भूमिका नहीं हैं।

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