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केंद्र की सरकार बनाने के लिए देश के तीन बड़े नेता किंगमेकर, जानें

Update: 2019-05-11 13:30 GMT

नई दिल्ली। आम चुनाव के पांच चरण समाप्त हो चुके हैं । छठे चरण का प्रचार भी थम चुका है। लेकिन राजनीति विश्लेषक दावा करने लगे हैं कि किसी भी गठबंधन को बहुमत नहीं मिलेगा। इसके बाद यह बात निकलने लगी है कि सरकार किसी दल के सहयोग से बन सकती हैं। इनमें तीनों दलों के नाम उभरकर सामने आ रहे हैं। केंद्र में सरकार के गठन को लेकर देश के तीन प्रदेशों के तीन बड़े नेता किंगमेकर साबित हो सकते हैं।

लोकसभा चुनाव में ज्यादातर राजनीतिक दलों ने अपने सियासी पत्ते खोल दिए हैं लेकिन ऐसे भी दल हैं जिन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं । वे यूपीए के साथ जाएंगे या एनडीए के साथ । वे दल ही सत्ता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री व टीआरएस प्रमुख केसीआर और वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वे यूपीए के साथ रहेंगे या एनडीए के साथ। माना जा रहा है कि एनडीए ने अभी से इन पर डौरे डालना प्रारंभ कर दिया है।

हम आपको बता दें कि ओडिशा में 21, आंध्र प्रदेश में 25 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं। इस प्रकार इनके पास 63सीटें हैं। जानकारों का मानना है कि इनका ही इन सीटों पर दबदबा रहेगा। 2014 के चुनाव में बीजेडी 20, वाईएसआर कांग्रेस 9 तो टीआरएस 11 सीटें जीतने में सफलता मिली थी। इस प्रकार इनके पास कुल चालीस सीटें थी। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। कांग्रेस और भाजपा भी चुनाव लड रही है लेकिन मुख्य मुकाबला टीडीपी और जगन मोहन के बीच ही है। एनडीए से अलग होने के बाद चंद्रबाबू नायडू लगातार मोदी को निशाने पर ले रखा है। और यूपीए में विपक्ष को एकता करने की नीति को आगे बढा रहे हैं। इसी प्रकार से जगन मोहन रेड्डी की टीडीपी एक गठबंधन में साथ नहीं हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में वे एनडीए में ही जाने का विकल्प बचता है।

ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजेडी अकेले ही चुनाव लडा है।यहां बीजेडी का मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस दोनों से रहा है। बीजेडी ने अपने गठन से लेकर अभी तक कांग्रेस को कभी समर्थन नहीं किया है जबकि भाजपा के साथ मिलकर वह चुनाव लड़ चुकी है और सरकार में भी दोनों पार्टियां साथ रह चुकी हैं। 2009 के बाद से बीजेडी एकल चलने की नीति अपना रखी है। फेनी तूफान से पहले और बाद में भी मोदी सरकार हमेशा नवीन पटनायक के साथ खडी नजर आई। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस अकेले चुनावी मैदान में है, इसका भाजपा और कांग्रेस से सीधा मुकाबला रहा है। अभी हाल ही में चंद्रशेखर राव ने विपक्षी दलों की बैठक में भाग नहीं लेने के निर्णय से कयास लगाए जा रहे हैं कि वे शायद एनडीए में जा सकते हैं।

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