सरकारी एजेंसी द्वारा व्यक्ति या डेटा की जांच निजता में सेंध : आनंद शर्मा
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय द्वारा आईबी, दिल्ली पुलिस आयुक्त सहित देश की दस सरकारी एजेंसियों को किसी भी काल या डेटा को इंटरसेप्ट करने के अधिकार को लेकर कांग्रेस ने देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार के इस आदेश से लोकतंत्र पर बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है। पार्टी नेता आनंद शर्मा ने शुक्रवार को संसद परिसर में पत्रकारों से कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए 'राइट टू प्राइवेसी' के खिलाफ सरकार का यह आदेश लोगों की निजता पर करारा प्रहार करने वाला है। उन्होंने कहा कि इस आदेश के द्वारा कम्प्यूटर, आई पैड्स, लैप टॉप्स उपयोग करने वाले नागरिकों की निजता खतरे में पड़ जाएगी।
शर्मा ने कहा कि हमने पहले भी कई बार इस मसले को सदन में उठाया है, समूचे विपक्ष ने जोरदार तरीके से इस आदेश का विरोध किया है। सम्मानित लोग, राजनेता, संसद सदस्य, यहाँ तक कि देश के बड़े अधिकारी, उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, बड़े-बड़े उद्योगपति, आदि के टेलीफोन भी टेप हो रहे हैं। भाजपा सरकार ने हिंदुस्तान को एक सर्विलांस स्टेट बना दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के जनविरोधी कार्य लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं। हम इसका संसद के अंदर और बाहर पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे।
सदन में शोरशराबा और हस्तक्षेप के सवाल पर आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार खुद सदन को चलने नहीं देना चाहती। इसमें साजिश है। सरकार नहीं चाहती कि ऐसे विषय जो सरकार को असहज करते हैं, उन पर चर्चा हो। सदन में व्यवधान सरकार के द्वारा प्रयोजित है ताकि सदन नहीं चलने की स्थिति में स्थगित कर दिया जाए। समूचे विपक्ष के हवाले से शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष ने आज स्पष्ट किया है कि सदन के अंदर भी हम चर्चा चाहते हैं, हर विषय पर। लेकिन देश के अंदर इस तरह का फैसला स्वीकार्य कदापि नहीं हो सकता।
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
उधर, कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि सरकार ने किसी व्यक्ति या उसके डेटा की जांच करने का अधिकार एजेंसियों को देकर नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। शेरगिल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के 547 पेज में दिए गए 'राइट टू प्राइवेसी' के उलट एक पेज में फरमान जारी कर तानाशाही रवैया अपनाया है, जो लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि घर-घर मोदी का नारा देने वाले प्रघानमंत्री ने यह साबित कर दिया है कि वे किस तरह घर-घर पहुंचना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दस एजेंसियों को अधिकार इस तरह का देकर लोगों की निजता में सेंध लगाई है। सरकारी आदेश के बाद हमारे प्रत्येक कार्य पर सरकार की नजर रहेगी। और वे हमारी गोपनीय योजनाओं के बारे में भी पता लगा लेंगे। यह भारत जैसे लोकतां़क देश के लिए घातक है।