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कैग की रिपोर्ट में राफेल सौदे को क्लीनचिट, मोदी सरकार को बड़ी राहत

मूल युद्धक विमानों की कीमत 9 प्रतिशत कम नहीं है, जैसा कि सरकार की ओर से दावा किया गया है : सीएजी

Update: 2019-02-13 12:21 GMT

नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग, सीएजी) ने फ्रांस के साथ हुए राफेल युद्धक विमान सौदे को क्लीनचिट देते हुए कहा है कि यह सौदा 2.86 फीसदी सस्ता है| इसकी आपूर्ति तेज और रखरखाव भी बेहतर है। युद्धक विमानों में भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर जो सुधार किए गए हैं, उसमें 17.08 प्रतिशत की बचत हुई है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में मनमोहन सरकार के दौरान 126 राफेल विमान सौदे और मोदी सरकार के समय हुए 36 विमान खरीद सौदे की तुलना करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है।

बुधवार को संसद में पेश कैग की रिपोर्ट से मोदी सरकार को भारी राहत मिली है। इस सौदे को लेकर उसे कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। इस सौदे से जुड़े ऑफसेट भागीदारी के संबंध में कैग ने अभी अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है। यह रिपोर्ट अभी तैयार हो रही है और लोकसभा चुनाव के बाद ही सरकार को सौंपी जाएगी। ऑफसेट भागीदार के रूप में अनिल अंबानी की कंपनी विपक्ष के निशाने पर है।

कैग ने 2016 में मोदी सरकार के दौरान हुए नए समझौते को 2007 में मनमोहन सिंह सरकार के समझौते से कुछ मायनों में बेहतर बताया है| लेकिन रिपोर्ट में राफेल सौदे के बारे में कुछ दावों को खारिज कर दिया गया है। कैग के अनुसार, मूल युद्धक विमानों की कीमत 9 प्रतिशत कम नहीं है, जैसा कि सरकार की ओर से दावा किया गया है। दोनों सौदों में मूल विमान की कीमत एक जैसी ही है। विमानों की आपूर्ति के संबंध में भी दोनों समझौतों की अवधि प्रायः एक जैसी है। पुराने समझौते में विमानों की आपूर्ति 72 महीनों में होनी थी जबकि नए समझौते में आपूर्ति की अवधि एक महीना कम यानि 71 महीने है। रिपोर्ट में विपक्षी दलों को सरकार पर हमले के लिए सामग्री भी मौजूद है। रिपोर्ट के अनुसार, बैंक गारंटी की सुविधा न होने के कारण कुछ धनराशि की बचत हुई है। लेकिन इसका फायदा फ्रांस की निर्माता कंपनी दसॉल्ट को हुआ है जबकि धनराशि की इस बचत का लाभ भारत को भी मिलना चाहिए था। यदि ऐसा होता तो विमानों की कीमत और कम हो जाती।

रिपोर्ट में बैंक गारंटी का प्रावधान नहीं होने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कैग ने कहा है कि यदि भविष्य में कोई समस्या पैदा होती है तो भारत को फ्रांस की कंपनी के खिलाफ मध्यस्थता में जाना होगा। इस संबंध में फ्रांस की ओर से दिया गया वैधानिक आश्वासन तभी प्रभावी होगा जब भारत इस प्रक्रिया में जीत हासिल करता है। उल्लेखनीय है कि राफेल सौदे में फ्रांस की सरकार ने संप्रभु गारंटी नहीं दी है, बल्कि वैधानिक आश्वासन भर दिया है।

कैग रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कहा 'सत्यमेव जयते'। उनके अनुसार, इस रिपोर्ट से सरकार का पक्ष सही साबित हुआ है। सौदे के बारे में विपक्ष के झूठ और दुष्प्रचार का पर्दाफाश हो गया।

विपक्षी दलों ने भारत के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक राजीव महर्षि की भूमिका पर हाल में ही सवाल खड़ा किया था। विपक्ष के अनुसार, महर्षि सौदे के समय वित्त सचिव थे तथा इसे अंजाम देने में उनकी भूमिका थी। हितों के इस टकराव के कारण उन्हें इस रिपोर्ट से अलग रखना चाहिए था।

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