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तुर्की के राष्ट्रपति ने खशोगी मामले की सच्चाई उजागर करने का लिया संकल्प

Update: 2018-10-22 08:59 GMT

इस्तांबुल। तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयब एर्दोआन ने पत्रकार जमाल खशोगी की मौत के पूरे सच का कुछ दिनों के भीतर उजागर करने का संकल्प लिया है। यह जानकारी सोमवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

एर्दोआन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सऊदी अरब के अधिकारियों ने माना है कि इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हुए एक 'झगड़े' में खशोगी की मौत हो गई। लेकिन साथ ही उनके शव के बारे जानकारी नहीं होने की भी बात कही है।

राष्ट्रपति ने इस्तांबुल में एक रैली में कहा, ''हम यहां इंसाफ तलाश रहे हैं और सच का खुलासा हो जाएगा। यह खुलासा पूरे सच के जरिए होगा।''

वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार खशोगी की मौत के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक की सबसे तीखी टिप्पणी करते हुए सऊदी अरब पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री आदिल अल-जुबैर ने रविवार को खशोगी के मारे जाने को 'बड़ी गलती' करार दिया और कहा कि यह ऐसे लोगों का काम था जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी की सीमा से आगे बढ़कर यह काम किया और इसे छिपाने की कोशिश की।

जुबैर ने फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में जोर देकर कहा कि वली अहद मोहम्मद बिन सलमान ने खशोगी को मारने और फिर मामले को दबाने के आदेश नहीं दिए थे और ना ही इसके बारे में कोई जानकारी थी। उन्होंने कहा, ''हमें नहीं पता कि शव कहां है।''

तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक,अब तक सीधे तौर पर सऊदी अरब को जिम्मेदार करार नहीं देने वाले एर्दोआन ने रविवार को ट्रंप से फोन पर बातचीत की। दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि खशोगी मामले में ''हर पहलू पर'' स्पष्टीकरण की जरूरत है। वह मंगलवार को तुर्की की संसद में इस मसले पर बयान दे सकते हैं।

तुर्की के अधिकारियों ने कहा है कि उनका मानना है कि दो अक्टूबर को दो विमानों में सवार होकर इस्तांबुल पहुंचे सऊदी अरब के 15 लोग खशोगी की मौत से जुड़े हैं। सऊदी अरब ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि जिन 15 लोगों के बारे में कहा जा रहा है, उनमें एक की मौत कई साल पहले कार हादसे में हो चुकी है।

इस बीच अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीफन मुंचिन ने कहा, " यह अच्छी बात है कि सउदी अरब ने वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार की हत्या बात स्वीकार कर ली है, लेकिन यह काफी नहीं है।" हालांकि उन्होने यह भी कहा कि इसको लेकर रियाद के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना जल्दबाजी होगी।

उधर, तीन यूरोपीय शक्तियां ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने खगोशी की मौत से संबंधित तथ्यों को उजागर करने के लिए रियाद पर दबाव बढ़ा दिए हैं। जर्मनी ने तो साफ कर दिया है कि जब तक खगोशी प्रकरण का खुलासा नहीं होगा तब तक वह सउदी अरब को हथियारों की की आपूर्ति नहीं करेगा।

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