ट्रंप ने चीन को करेंसी मैनीपुलेटर देशों की सूची से हटाया

Update: 2020-01-15 06:47 GMT

वाशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच होने जा रहे पहले दौर के कारोबारी समझौते से पहले अमेरिका ने चीन को करेंसी से छेड़छाड़ करने वाले (करेंसी मैनीपुलेटेर) देशों की सूची से हटा दिया है। उसने चीन को पिछले वर्ष इस सूची में डाला था। समझौते पर हस्ताक्षर से ठीक पहले वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी कांग्रेस को एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में कहा है कि चीन का यूआन मजबूत हुआ है, इसलिए उसे अब करेंसी मैनीपुलेटर माना जाना ठीक नहीं है। इस कदम को समझौते से पहले अच्छे संकेत के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा अब अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार थमेगा।

न्यूज एजेंसी एफपी के मुताबिक पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर जानबूझकर करेंसी को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि चीन ने अपनी करेंसी को कमजोर करके अमेरिकी कारोबार और फैक्टरियों को हड़पने की कोशिश की है। पिछले वर्ष चीन ने अपनी करेंसी यूआन को प्रति डॉलर सात के स्तर तक गिरा दिया था। यह बाद में सुधरकर एक डॉलर के मुकाबले 6.93 यूआन के स्तर तक आ गई।

चीन और अमेरिका में लगभग दो वर्ष तक चले ट्रेड-वार के चलते चीन के ट्रेड सरप्लस में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल चीन के ट्रेड सरप्लस में 8.5 परसेंट की गिरावट आई। इस दौरान चीन का ट्रेड सरप्लस करीब 29,580 करोड़ डॉलर रहा। 2018 में चीन का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस 32,330 करोड़ डॉलर रहा था। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनातनी के चलते शुल्क में कई बार इजाफा किया गया था।

बता दें अमेरिका और चीन आज यानी बुधवार को पहले चरण के व्यापार करार पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने मंगलवार को स्पष्ट किया है कि इस करार से चीन के अरबों डॉलर के सामान पर लगाए गए शुल्क वापस नहीं होंगे। अमेरिका के वित्त विभाग और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ''भविष्य में शुल्कों में कटौती की कोई व्यवस्था नहीं है। इस बारे में अफवाहें पूरी तरह गलत हैं। 'ब्लूमबर्ग की खबर में कहा गया है कि चीन के अरबों डॉलर के सामान पर शुल्क इस साल नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव तक जारी रहेंगे। उसके बाद इन्हें हटाया जा सकता है। 

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