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सुलझा 'बरमूडा ट्राइएंगल' का रहस्य

Update: 2018-08-03 07:19 GMT

लंदन। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का दावा है कि बरमूडा ट्राइएंगल के रहस्यों को सुलझा लिया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका कारण 100 फुट ऊंची खतरनाक लहरें हो सकती हैं जिससे समुद्री नाव इस रहस्यमयी बरमूडा ट्राइएंगल में गुम हो जाती हैं। बता दें कि इस क्षेत्र से गुजरने वाले समुद्री जहाज और हवाई जहाज अचानक गायब हो जाते हैं। यह दुनिया का सबसे रहस्यमयी इलाका है। यहां आस-पास से गुजरने वाली हर चीज लापता हो जाती है। पानी का जहाज हो या हवाई जहाज, बरमूडा ट्राइएंगल के आस-पास जो भी गया, वो हमेशा के लिए गायब हो गया।

नासा के सैटेलाइट ने धरती की कुछ ऐसी तस्वीरें खींची हैं जो बरमूडा ट्राइएंगल के रहस्य से पर्दा हटा सकती हैं। इनमें अटलांटिक महासागर में स्थित बरमूडा ट्राइएंगल के ऊपर मंडराते बादलों की भी तस्वीर है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले 70 साल तक कोई वैज्ञानिक वहां जाकर इस रहस्य से पर्दा उठाने की हिम्मत नहीं दिखा पाया, क्योंकि वहां से गुजरने वाले समुद्री जहाज और हवाई जहाज विशेष भौगोलिक कारणों की वजह से अचानक समुद्री गर्त में घुसकर गायब हो जाते थे। इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने बताया था कि बरमूडा ट्राइएंगल का रहस्य वहां की भौगोलिक स्थिति और खराब मौसम में छिपा है। इसकी वजह से अटलांटिक महासागर के उस क्षेत्र में समुद्री विमान और प्लेन गायब हो जाते हैं। उस क्षेत्र पर चुंबकीय घनत्व के प्रभाव की बात भी स्वीकार की गई है।

बरमूडा ट्राइएंगल का यह क्षेत्र फ्लोरिडा, बरमूडा और प्यूर्टो-रिका के बीच 700,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र भूमध्य रेखा के नजदीक है, और अमरीका के पास है। यह क्षेत्र उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक भाग है जिसमें कई समुद्री जहाज और हवाई जहाज गायब हुए हैं। इसे 'डेविल्स ट्राइएंगल' के नाम से भी जाना जाता है। अंतिम सौ सालों के दौरान यहां 1000 से अधिक लोगों की जान चली गई है। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैंपटन के विशेषज्ञों का मानना है कि इस रहस्य को प्राकृतिक प्रक्रिया, 'खतरनाक लहरों' के तौर पर बताया जा सकता है।

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