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सार्क के कोरोना इमरजेंसी फंड में पाकिस्तान ने नहीं दिया एक भी रुपया

Update: 2020-03-24 13:56 GMT

नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों द्वारा तैयार 'कोविड आपात कोष' में पाकिस्तान की ओर से अब तक एक रुपए की भी मदद नहीं दी गई है, जबकि अन्य सदस्य देशों ने करीब 1 करोड़ 80 लाख डॉलर की रकम जुटा ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस को लेकर बीते 15 मार्च को दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए संवाद में 'कोविड-19' आपात कोष का प्रस्ताव किया था और इसमें 1 करोड़ डॉलर की प्रारंभिक राशि की पेशकश की थी।

भारत की ओर से 'कोविड आपात कोष' में एक करोड़ डॉलर, बांग्लादेश की ओर से 1.5 मिलियन डॉलर, श्रीलंका की ओर से 50 लाख डॉलर, अफगानिस्तान की ओर से 10 लाख डॉलर, भूटान की ओर से 1 लाख डॉलर, मालदीव की ओर से 2 लाख डॉलर और नेपाल की तरफ से 10 लाख डॉलर का योगदान दिया गया है। इससे पहले बीते सोमवार (23 मार्च) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षेस देशों के लिए कोविड-19 आपात कोष में योगदान देने के लिए श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश का आभार जताया और कहा कि आपसी समन्वय और साथ मिलकर हम कोविड-19 की चुनौतियों पर जीत हासिल करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते 15 मार्च को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दक्षेस देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों से कोरोना वायरस से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने को लेकर संवाद करते हुए सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया था। साथ ही उन्होंने इसको लेकर नहीं घबराने की अपील भी की थी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य ममलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा शामिल हुए थे।

सार्क देशों की बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिसकी वैश्विक तौर पर काफी आलोचना हुई थी। पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए जम्मू कश्मीर में सभी तरह की पाबंदी को हटा लेना चाहिए। इमरान खान के स्वास्थ्य मामलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा ने कहा था, "मुझे कहना है कि यह चिंता का विषय है कि जम्मू कश्मीर से कोविड-19 के मामले दर्ज किए गए हैं और स्वास्थ्य आपात स्थिति में यह जरूरी है कि वहां तत्काल सभी पाबंदियों को हटा लेना चाहिए।" उन्होंने कहा था, ''संचार और आवाजाही को खोले जाने से सूचना का आदान-प्रदान होगा, दवाइयों के वितरण और रोकथाम की अनुमति होगी।" पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास करता आया है, लेकिन भारत ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना उसका ''आंतरिक मामला" है। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान सच्चाई को स्वीकार करे और भारत विरोधी बयानबाजी को रोके। 

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