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पाक सेना प्रमुख बाजवा की सेवा विस्तार अधिसूचना कल तक निलंबित

Update: 2019-11-26 10:59 GMT

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की सेवा विस्तार की अधिसूचना को बुधवार को होने वाली सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दी है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।

अदालती कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरसरी तौर पर सेवा विस्तार की मंजूरी सही नहीं लगती है। अदालत ने रक्षा मंत्रालय, संघीय सरकार और जनरल बाजवा को नोटिस भेजा है। जनरल बाजवा 29 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी है।

विदित हो कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने गत 19 अगस्त को जनरल बाजवा को वर्तमान कार्यकाल से तीन साल तक के लिए सेवा विस्तार की मंजूरी की अधिसूचना जारी की थी।

हालांकि बाजवा की सेवा विस्तार रद्द करने के लिए जूरिस्ट फाउंडेशन की ओर से दायर याचिका को मुख्य न्यायाधीश खोसा ने रद्द कर दिया और याचिका पर संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की।इस तरह अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने अटर्नी जनरल अनवर मंसूर खान से पूछा कि जब सेवा विस्तार की अधिसूचना 19 अगस्त को जारी हो गई तो प्रधानमंत्री ने 21 अगस्त को इसकी मंजूरी कैसे दी। इस पर अटर्नी जनरल ने कहा कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री ने अपनी मुहर लगाई।

इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद क्या राष्ट्रपति ने इस पर दोबारा हस्ताक्षर किया। लेकिन अटर्नी जनरल ने नकारात्मक जवाब दिया।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि केवल पाकिस्तान के राष्ट्रपति ही सेना प्रमुख को सेवा विस्तार दे सकते हैं। अटर्नी जनरल ने कहा कि सरकार राष्ट्रपति से दोबारा मंजूरी ले लेगी। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 25 सदस्यीय मंत्रिमंडल के सिर्फ 11 सदस्यों ने ही जनरल की सेवा विस्तार को मंजूरी दी है। तब अटर्नी जनरल ने कहा कि जो मंत्री उपस्थित थे सिर्फ उन्होंने ही वोटिंग में भाग लिया। अन्य मंत्री अनुपलब्ध होने की वजह से अपनी राय नहीं दे सके।

अटर्नी जनरल के जवाब से असंतुष्ट मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या मंत्रिमंडल अपने सदस्यों को विचार करने के लिए समय नहीं देना चाहता है? इस बीच सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ के सदस्य न्यायाधीश मंसूर अली शाह ने कहा कि अगर मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दी है तो सोच विचार के बाद ही दी होगी, लेकिन मंत्रिमंडल में सेवा विस्तार के कारणों पर चर्चा नहीं हुई।

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