कोरोना वायरस के चलते वैश्विक स्तर पर तेल के दाम 25 फीसदी गिरे

Update: 2020-03-09 07:10 GMT

टोक्यो। सऊदी अरब द्वारा कीमतों में कटौती के बाद तेल की कीमतों में सोमवार को करीब 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सऊदी अरब ने अप्रैल में कच्चे तेल के उत्पादन में बड़ी वृद्धि की योजना बनाई है। 1991 के बाद से तेल की कीमतों में यह सबसे बड़ी गिरावट है।

कोरोना वायरस के वैश्विक प्रसार के कारण तेल की कीमतों को स्थिर करने के लिए ओपेक ने प्रस्तावित उत्पादन में कटौती का प्रस्ताव रखा था। इस पर रूस के आपत्ति जताने के बाद रूस और सऊदी के बीच कीमत युद्ध शुरू हुआ। जिससे कीमतें 31 फीसदी तक गिर गईं। ब्रेंट क्रूड वायदा 11.31 डॉलर या 25 फीसदी नीचे 33.96 डॉलर प्रति बैरल पर था। यह कीमत 12 फरवरी, 2016 के बाद से सबसे कम है। ब्रेंट फ्यूचर्स में पहले खाड़ी युद्ध की शुरुआत के समय 17 जनवरी, 1991 के बाद से सबसे बड़ी दैनिक गिरावट देखी गई है।

अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 10.73 डॉलर या 26 फीसदी गिरकर 30.55 डॉलर प्रति बैरल हो गया। 22 फरवरी, 2016 के बाद से यह इसका सबसे निचला स्तर है। यह अमेरिकी क्रूड बेंचमार्क भी जनवरी 1991 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट की ओर अग्रसर है।

रूस सहित अन्य उत्पादकों से बने ओपेक + नामक समूह के बीच विवाद पैदा होने से कोरोना वायरस के आर्थिक असर के कारण कीमतों को स्थिर करने के लिए सहयोग समाप्त हो गया है। सऊदी अरब ने रविवार को बताया कि मार्च के बाद उसने कच्चे तेल के उत्पादन को 10 मिलियन बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) से अधिक बढ़ाने की योजना बनाई है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) द्वारा पिछले सप्ताह प्रस्तावित उत्पादन में कटौती का समर्थन नहीं करने पर दुनिया का सबसा बड़ा तेल निर्यातक देश सऊदी अरब दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक रूस को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।

सऊदी अरब, रूस और अन्य प्रमुख उत्पादकों ने आखिरी बार 2014 से 2016 के बीच बाजार हिस्सेदारी के लिए संघर्ष किया था। सऊदी अरब और रूस के बीच तेल कीमत युद्ध सीमित और रणनीतिक होने की संभावना है। सऊदी अरब ने अप्रैल के लिए अपने कच्चे तेल के सभी ग्रेडों के आधिकारिक विक्रय मूल्यों में 6 से 8 डॉलर प्रति बैरल की कटौती करके तेल कीमत युद्ध को शुरू कर दिया है।

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