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भारत-मालदीव के इस समझौते से चीन को लगा बड़ा झटका, पढ़े क्या है मामला

Update: 2019-06-09 03:49 GMT

नई दिल्ली/माले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने भारत द्वारा निर्मित तटीय निगरानी रडार प्रणाली का यहां शनिवार को संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। दोनों नेताओं ने रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए व्यापक वार्ता की। इस रडार प्रणाली का उद्घाटन काफी मायने रखता है, क्योंकि चीन हिंद महासागर में अपनी समुद्री रेशम मार्ग परियोजना के लिए मालदीव को महत्वपूर्ण मानता है। चीन ने इसके लिए श्री लंका में हंबनटोटा बंदरगाह और अफ्रीका के पूर्वी छोर पर स्थित जिबूती पर अपना प्रभाव कायम कर लिया है।

हम आपको बता दें कि तटीय निगरानी रडार, एकीकृत तटीय निगरानी प्रणाली के लिए प्राथमिक सेंसर है। दोनों देशों ने भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के बीच 'व्हाइट शिपिंग' सूचनाएं साझा करने के लिए एक तकनीकी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

गौरतलब है कि 'वाइट शिपिंग' समझौते के तहत दो देश एक दूसरे के समुद्री क्षेत्र में वाणिज्यिक जहाजों के बारे में दोनों देशों की नौसेना के बीच सूचना का आदान प्रदान करते हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति सोलेह ने संयुक्त रूप से माफिलाफुशी में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल की समग्र प्रशिक्षण संस्थान और तटीय निगरानी रडार प्रणाली का उद्घाटन किया। 

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