एनएसजी की सदस्यता के लिए ब्रिटेन ने भारत का किया समर्थन

Update: 2018-09-28 04:24 GMT

नई दिल्ली। चीन के विरोध के बावजूद भारत नए सिरे से न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में अपनी एंट्री को लेकर प्रयासरत है। इस बीच यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) ने बिना किसी शर्त के एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है। इसके पीछे ब्रिटेन ने तर्क दिया है कि भारत ने ग्रुप में शामिल होने के लिए अपनी योग्यताएँ साबित की हैं। आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु व्यापार का काम एनएसजी की निगरानी में ही होता है।

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटेन भारत को एक जिम्मेदार देश के रूप में देखता है। गौरतलब है कि चीन के विरोध के बावजूद भारत नए सिरे से एनएसजी में अपनी एंट्री को लेकर प्रयासरत है। पिछले महीने अमेरिका के साथ 2+2 डायलॉग और अमेरिका द्वारा भारत को टियर-1 देशों में शामिल किए जाने के बाद भारत यह मानकर चल रहा है कि अमेरिका एनएसजी में उसकी एंट्री के लिए साथ देगा।

हम आपको बता दे कि गुरुवार को एक उच्चस्तरीय मीटिंग के बाद एक राजनीतिक सूत्र ने बताया कि ब्रिटेन ने कहा है, 'भारत के पास एनएसजी का सदस्य होने के लिए आवश्यक योग्यता है और हम मानते हैं कि उसे इस ग्रुप का सदस्य होना चाहिए। अब यह चीन ही बता सकता है कि उसे भारत की सदस्यता को लेकर क्या आपत्ति है।' प्रसार और सुरक्षा के मामलों पर बातचीत के बीच भारत ने भी पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया के संबंधों पर सवाल उठाए। इस पर ब्रिटेन की ओर से कहा गया कि पाकिस्तान के वर्तमान व्यवहार और परिस्थितियों को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है। सूत्रों के मुताबिक ब्रिटेन ने कहा, 'एक्यू खान नेटवर्क ने काफी गड़बड़ की लेकिन फिलहाल हमारा मानना है कि उत्तर कोरिया से संबंधों को लेकर कोई समस्या नहीं आने वाली है।' सूत्रों के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया और ईरान के मुद्दों पर भारत और ब्रिटेन एक जैसी अप्रोच रखते हैं। गुरुवार को वार्ता के बीच ब्रिटेन ने भारत के उस फैसले पर हैरानी जताई, जब भारत ने ब्रिटेन के प्रस्ताव का विरोध किया था। दरअसल, यह प्रस्ताव केमिकल हथियारों के इस्तेमाल से खतरों के विषय पर था, भारत ने इसके विरोध में वोट किया था।

सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटेन ने कहा, 'इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले 24 देशों में भारत को देखकर हमें हैरानी हुई लेकिन हमें उम्मीद है कि भारत अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करेगा।' बताते चलें कि ऑर्गनाइजेशन ऑफ प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स (ओपीसीडब्ल्यू) के 82 देशों ने ब्रिटेन के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने के बाद भारत ने कहा था, 'हम कहीं भी, किसी भी वक्त, किसी भी परिस्थिति में और किसी पर भी रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ हैं।'

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