Ambaji Mandir : दुनिया का सबसे बड़ा श्रीयंत्र बनकर तैयार, शक्ति पीठ अंबाजी में किया जाएगा स्थापित
शक्ति पीठ अंबाजी में स्थापित होने वाला 2200 KG वजन, 4.5 फीट ऊंचा पिरामिड आकार का है श्रीयंत्र
बनासकांठा/वेबडेस्क। बनासकांठा जिले में स्थित आद्यशक्ति आरासुरी अंबा माता के धाम अंबाजी मंदिर में विश्व का सबसे बड़ा श्रीयंत्र स्थापित किया जाएगा। अहमदाबाद के जय भोले ग्रुप ने सोने, चांदी, तांबे, पीतल और लोहे से इस यंत्र को बनाया है। वर्तमान में सबसे बड़ा श्री यंत्र उत्तराखंड के डोलाश्रम में स्थापित है, जो कि साढ़े तीन फीट का है।
अहमदाबाद के जय भोले ग्रुप के दीपेश पटेल ने इस श्रीयंत्र की जानकारी देते हुए मीडिया को बताया कि पंचधातु से बने इस यंत्र का वजन 2200 किलो है। पिरामिड के आकार के इस यंत्र की ऊंचाई साढ़े चार फीट है। इसके निर्माण में करीब एक करोड़ रूपए का खर्च आया है। इसे 25 कारीगरों ने दिन-रात मेहनत कर तैयार किया है।
यंत्र बनाने का कारण -
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के डोलाश्रम जाने के बाद उनके मन में विश्व का सबसे बड़ा श्री यंत्र बनाने का विचार आया। उसके बाडी इसके निर्माण को लेकर तैयारी शुरू की। उन्होंने बताया की यंत्र के ऊपर16 पंखुडियां है। जिन पर मां विराजमान हैं और ऊपर की ओर अष्ट नागदल है। उसके ऊपर 14 मन्वंतर और 10 महाविद्याएं हैं। इसके ऊपर विष्णु जी के 10 अवतार हैं। उसके ऊपर 8 वसु हैं। इसके ऊपर ब्रह्मा, विष्णु, शिवजी, महालक्ष्मी, महाकाली और सरस्वती का वास है। वहीं, इसके शीर्ष पर ललिता त्रिपुर सुंदरी विराजमान हैं।
सुख-शांति का प्रतिक -
उन्होंने बताया कि श्री विद्या के अनुसार श्री यंत्र तीन प्रकार के मेरु, भूपृष्ठ और कूर्म पृष्ठ होते हैं। इसमें सबसे श्रेष्ठ व उच्च मेरु श्री यंत्र कहा जाता है। यह पिरामिड के आकार का होता है। भूपृष्ठ यंत्र जमीन को छूता हुआ और कूर्म पृष्ठ श्री यंत्र कछुआ की पीठ जैसा मुड़ा हुआ होता है। श्री यंत्र की देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी कही जाती हैं। जिन्हें माता लक्ष्मी और सरस्वती चामर डुलाती हैं। इस वजह से यह कहा जाता है कि श्री यंत्र की पूजा, आराधना से धन, वैभव, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और मोक्ष के साथ सद्बुद्धि व विद्या की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी और सरस्वती के समन्वय से लोगों के जीवन में सुख- शांति जैसी भावना के साथ श्री यंत्र की पूजा की जाती है।
शृंगेरी मठ के शंकराचार्य ने की थी स्थापना -
आज से करीब 1200 वर्ष पहले शृंगेरी मठ के शंकराचार्य ने मठ में स्वर्ण श्री यंत्र की स्थापना कर उसकी पूजा की थी। इससे दीपेश पटेल ने श्री यंत्र के निर्माण में शृंगेरी मठ के शंकराचार्य के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन प्राप्त कर शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान के साथ इस श्री यंत्र का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें श्री भगवती राज राजेश्वरी, श्री विद्यामंदिर, हिमाचल प्रदेश के दंडी स्वमी जय देवांग महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया गया है।