एएमयू जैसे परिसरों पर जरूरी है निगरानी

एएमयू में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान बशीर वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश की थी।

Update: 2018-11-23 19:11 GMT

 - योगेश कुमार सोनी

हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ड्रामा क्लब द्वारा आयोजित लेखक असगर वजाहत के भारत-पाकिस्तान विभाजन पर आधारित नाटक 'जिन लाहौर नी वेख्या' के मंचन को लेकर भारत का गलत नक्शा बनाया गया। नक्शे में जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र नदागद था। इस मामले पर बीजेपी के ब्रज प्रांत के उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ने विरोध जताते हुए ध्यान आकृष्ट किया कि नाटक के प्रचार के लिए लगाए गए पोस्टर में भारत के नक्शे से जम्मू-कश्मीर गायब था। इस गलती के सामने आते ही एएमयू अधिकारियों ने सारे पोस्टर हटा दिए। इस पर ड्रामा क्लब से जुड़े सभी भागीदारों को नोटिस किया। एएमयू के प्रवक्ता शाफे किदवई ने बताया कि ड्रामा क्लब की अध्यक्ष डॉ. विभा शर्मा और सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र के अब्दुल मन्नान से इस मामले पर उनका जवाब मांगा गया है।

एएमयू कल्चरल एजुकेशन सेंटर की ओर से इस ड्रामे से इतनी बड़ी हलचल हो गई कि देश की सभी छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियां इस मसले पर मैदान कूद पड़ीं। मीडिया में भी एमएमयू की संचालन प्रक्रिया पर सवाल उठे। क्षातव्य है एएमयू में इस तरह की देश विरोधी घटना पहली बार नही हुई। इसके पहले भी तमाम ऐसी घटनाओं की फेहरिस्त है, जिससे यह लागातार साबित होता रहा रहा है कि वहां के विद्यार्थियों को देश के खिलाफ उकसाने का प्रयास निरतंर हो रहा है।

याद करना चाहिए कि कुछ दिनों पूर्व एएमयू में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान बशीर वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश की थी। इस कोशिश के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में तीन छात्रों पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस नहीं लिये जाने की स्थिति में एएमयू छोड़ने की चेतावनी दी थी। हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकवादी मन्नना वानी जो एएमयू में पीएचडी का छात्र था, उसे कश्मीर के हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था। सज्जाद ने विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक मंसूर को भेजे गये पत्र में लिखा था कि अगर कश्मीरी छात्रों की छवि खराब करने की कोशिशें बंद नहीं हुईं, तो एएमयू के 1200 से ज्यादा कश्मीरी छात्र विश्वविद्यालय छोड़कर अपने-अपने घर लौट जाएंगे। बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्रों ने यह पत्र एएमयू के प्रॉक्टर मोहसिन खान को दिया था। वैसे एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवई कहा था कि एएमयू परिसर में किसी भी तरह की देशविरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एएमयू परिसर के अंदर निष्कासित आतंकवादी छात्र मन्नान वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश के दौरान राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में 12 अक्टूबर को तीन कश्मीरी छात्रों वसीम मलिक, अब्दुल मीर तथा एक अज्ञात छात्र के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था । इसके अलावा एएमयू प्रशासन ने नमाज ए जनाजा पढ़ने के लिए अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा करने के मामले में विश्वविद्यालय के नौ छात्रों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।

इस प्रकरण में यह बात समझ नही आती कि आखिर वहां पढ़ रहे विधार्थियों का माइंड वॉश करने के पीछे क्या व किसकी मंशा है। यदि आंतकी व पाकिस्तानी ही इस खेल के पीछे हैं, तो निश्चित तौर पर देश को एक बड़ा खतरा है। हम बाहरी लोगों से लड़ने में तो पूर्णत सक्षम हैं लेकिन आस्तीन में पल रहे सांपों का इलाज मुश्किल है।

इस मामले पर मेरे साथ एक टीवी चैनल डीबेट में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर ने लाइव यह कहा कि कश्मीर हिंदुस्तान का भाग नही हैं। इसके अलावा भी कई देश विरोधी बातें कहते हुए उसने कांग्रेस पार्टी पर कई आरोप लगाए । साथ मे यह भी कहा इन सबके के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। उसके इन वाक्यों से स्पष्ट हो चुका था कि जो इतने बड़े प्लेटफॉर्म पर हमारे देश के लिए आग उगल सकता है तो उसके मन में और कितना जहर होगा। यह तो केवल एक ही छात्र की कहानी है। बाकी ऐसे लोगों की तो पूरी जमात ही है।

सबसे ज्यादा मुसलमान हमारे देश मे हैं। हम यह कहते हैं कि हमारा देश धर्म निरपेक्ष है। बावजूद इसके, ऐसी घटनाएं मन को कचोटती हैं। यदि एएमयू व जेएनयू जैसी संस्थाओं पर निरगानी नहीं रखी गई तो कहीं यह संस्थाएं आंतकियों का अड्डा व फैक्ट्री न बन जाएं। यहां हमारे शासन-प्रशासन पर सवालिया निशान उठता है कि लगातार हो रही इस तरह कि घटनाओं पर हमारा सिस्टम गंभीरता क्यों नही दिखा रहा। क्या यह चुनौती है या फिर असफलता ? चुनौती है तो भी स्वीकार करनी पड़ेगी व असफलता है तो भी उसमें सुधार करना होगा। क्योंकि दोनों ही स्थिति में बड़ा नुकसान देश के वर्तमान व भविष्य को है। यदि इस जहर को फैलने से समय से न रोका गया तो देश में एक नया पाकिस्तान बनने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

एएमयू में पाकिस्तानी सोच के लगातार बढ़ने को छोटा खेल नही समझा जा सकता। इस सोच की उपज पर काबू पाना ही होगा, क्योंकि यह इन संस्थाओं मे पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है। कोई भी अभिभावक नही चाहता कि उसके बच्चे इस तरह की राह पर चलें। अभिभावकों को भी बच्चों के व्यवहार व गतिविधि पर निगाह रखनी चाहिए। वैसे तो यहां पढ़ रहे अधिकतर बच्चों के अभिभावक उनसे दूर ही रहते हैं, फिर भी किसी भी रूप में सही, निगरनी जरूरी है। इसके अलावा ऐसी यूनिवर्सिटी में प्रशासन की वो यूनिट तैनात करनी चाहिए जिससे वहां विधार्थियों में कानून के प्रति डर व सम्मान का माहौल बना रहे। यूनिवर्सिटी में तमाम ऐसे उपकरणों का भी उपयोग करना चाहिए, जिससे किसी भी संदेह की स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। 

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