चन्दना: यह भाजपा की ममता हैं

Update: 2021-05-03 09:40 GMT

कोलकाता/नवीन सविता। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले की सालतोड़ा सीट से भाजपा उ मीदवार चन्दना बाउरी पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। बाउरी ने तृणमूल कांग्रेस के उ मीदवार संतोष कुमार मंडल को चार हजार से ज्यादा वोटों से हराकर राजनीतिक प्रतिष्ठा हासिल की है। भाजपा ने उन्हें उ मीदवार बनाया तो यह भाजपा की संस्कृति है। एक मनरेगा मजदूर की पत्नी को विधानसभा चुनाव का उ मीदवार बनाने जैसा काम केवल भाजपा ही कर सकती है। कहते हैं प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। अगर सही समय पर प्रतिभा को उचित मंच मिले तो यह अपना लोहा जरूर मनवाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चन्दना के अंदर विद्यमान राजनीतिक संभावनाओं को बहुत पहले देख लिया था। वे चुनाव के दौरान रैलियों में भी चंदना का जिक्र करते रहे हैं। अब चन्दना विधानसभा पहुंची हैं तो वे पूरे पश्चिम बंगाल में चर्चा का केंद्रबिंदु बन गई हैं। चंदना ने पूरे चुनाव में जो कार्यकुशलता व व्यावहारिकता की छाप छोड़ी है, उसे देखकर उन्हें भाजपा की ममता तक कहा जाने लगा है। हालांकि टीएमसी की ममता के कट मनी, खेला होबे, बुआ-भतीजा, परिवारवाद, जैसे गुण भाजपा की इस ममता में दूर-दूर तक नजर नहीं आते।

चुनावी रणनीतिकार इसे भाजपा की रणनीति बता रहे हैं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रतिभाओं को खोजना फिर उन्हें अवसर देना, यह भाजपा में ही संभव है। वरना मनरेगा में दिहाड़ी पर काम करके अपनी रोजी-रोटी चलाने वाली चंदना पर इतना बड़ा दांव लगाना इतना आसान काम नहीं था। चन्दना को अर्श से उठाकर विधानसभा जैसे फर्श पर पहुंचाने वाली भाजपा को लेकर पश्चिम बंगाल में नैरेटिव बना है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को लेकर आगे बढऩे वाली भाजपा का लक्ष्य अंतिम छोर पर बैठे हर उस व्यक्ति का विकास करना है, जो साधनविहीन हैं।

चंदना कहती हैं, चुनाव में जब उनके नाम की घोषणा हुई थी तो इसकी जानकारी आसपास वालों ने उन्हें घर आकर दी थी। चंदना को कभी सपने में भी ऐसा विचार नहीं आया था कि उसे विधानसभा का टिकट भी मिल सकता है। लेकिन भाजपा ने इतना बड़ा निर्णय लेकर आम कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश दिया है कि चुनाव लडऩे की योग्यता केवल अमीर होना ही जरूरी नहीं। चंदना के पति श्रबण दिहाड़ी मजदूर हैं और प्रतिदिन चार सौ रुपए कमाते हैं। चंदना ने जब नामांकन दाखिल किया था तो उसमें जो संपत्ति घोषित की, उसके तहत उनके पास तीन बकरी, तीन गाय, एक झोंपड़ी, बैंक में जमा और नकद मिलाकर 31985 रूपए की संपत्ति है। घर में शौचालय नहीं है। पीने के पानी के लिए नल की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में कहीं और दूर से पानी लाना पड़ता है।

बीते साल पीएमवाई योजना से बनवाया दो कमरे का पक्का मकान

एक मजदूर दंपति का क्या सपना होता है। यह बताने की जरूरत नहीं। चंदना का भी यही सपना था कि उसका भी पक्का मकान हो। घर में एक शौचालय हो। शौच के लिए उसे मैदान में दूर-दूर तक जाना होता था। पिछले साल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 60 हजार रूपए की पहली किश्त मिली जिससे चंदना ने दो पक्के कमरे बनवाए।

क्या कहती हैं चन्दना

चुनाव के दौरान जब भी चंदना घर से प्रचार के लिए निकलती थीं तो लोगों से जनसंपर्क करती थीं। बताती थीं लोगों को कि ममता दीदी ने पिछले पांच साल कोई विकास कार्य नहीं किया। जो भी पैसा प्रधानमंत्री मोदी जी भेजते हैं, टीएमसी अपनी जेब में रख लेती है। भ्रष्टाचार को लेकर स्थिति यह है कि शौचालय से लेकर घर की योजनाओं तक के लिए लोगों को तृणमूल के लोगों को पैसा देना पड़ता है। जीतने के बाद चंदना में गजब का आत्मविश्वास दिखा है। वे कहती हैं कि अब विधानसभा में जाकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगी। गरीबों के हक के लिए लड़ाई आगे बढ़ाएंगी। चंदना के पति श्रबण पहले फारवर्ड ब्लाक के सदस्य थे, लेकिन उनका कहना है कि 2011 में जब टीएमसी की सरकार बनी तो टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उनका उत्पीडऩ किया। प्रधानमंत्री मोदी के विराट व्यक्तित्व से प्रभावित होकर वे भाजपा से जुड़े।

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