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जानिए, अब पेट्रोल हो सकता है 4 रुपये तक सस्ता, पिछले एक महीने में 20 फीसद गिरा कच्चा तेल

Update: 2020-02-17 05:56 GMT

मुंबई। चीन में फैले घातक कोरोना वायरस से चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग में भारी कमी आई है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी(आईईए) का अनुमान है कि इस साल की पहली तिमाही में कच्चे तेल की वैश्विक खपत पिछले साल के मुकाबले 4.35 लाख बैरल घट सकती है। मांग घटने से कच्चे तेल की कीमतें में बड़ी गिरावट आएगी। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि इसका फायदा भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा। पिछले एक महीने में पेट्रोल के दाम दो रुपये कम हो चुके हैं। अगले दो हफ्ते में पेट्रोल चार रुपये तक और सस्ता हो सकता है।

जेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना वायरस के चतले बेंट क्रूड का भाव 56 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 50 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड 52.23 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 48 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। इसका फायदा भारतीय तेल बाजार को मिलेगा। अगले दो हफ्ते में पेट्रोल के भाव में चार रुपये तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। डीजल के भाव में भी इसी अनुपात में गिरावट आएगी।

आईईए ने अपनी हालिया रिपोर्ट में 2020 की पहली तिमाही में तेल की वैश्विक मांग अनुमान में पिछले साल के मुकाबले 4.35 लाख बैरल की कटौती की है। बीते एक दशक में यह पहला मौका होगा, जब तेल की सालाना मांग में कमी दर्ज की जाएगी। इससे पहले एजेंसी ने तेल की खपत मांग में पिछले साल के मुकाबले आठ लाख बैरल रोजाना का इजाफा होने का अनुमान लगाया था। आईईए के अनुसार, 2020 में पूरे साल के दौरान तेल की मांग में वृद्धि महज 8.25 लाख बैरल रोजाना होने का अनुमान है, जोकि पिछले अनुमान से 3.65 लाख बैरल कम है। इस प्रकार 2011 के बाद तेल की सालाना मांग में यह सबसे कम वृद्धि होगी।

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने हिन्दुस्तान को बताया कि तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक और रूस द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में अतिरिक्त कटौती करने के संकेत दिए हैं। लेकिन इसका असर अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार पर आने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह है कि मौजूदा समय में तेल की कीमतें चीन और भारत की ओर से मांग के आधार पर तय होती है। चीन में कोरोना वायरस के चलते मांग में बड़ी कमी आई है। अभी तक कोरोना वायरस पर लगाम लगाने में चीन असफल रहा है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। अगर, कोरोना का कहर चीन से बाहर के देशों में होता है तो यह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को अपने जद में ले सकता है।

ऐसी स्थिति में तेल की मांग में बड़ी कमी आएगी। इससे कच्चे तेल की कीमतें में बड़ी कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि, तस्वीर अगले 10 दिनों में साफ हो जाएगी लेकिन अभी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। कच्चे तेल के दाम में गिरावट जारी रहने से भारतीय बाजार में पेट्रोल-डीजल सस्ता होगा। तीन से चार रुपये की कटौती अगले 10 दिनों में देखने को मिल सकती है। वहीं, कोरोना का कहर लंबा चलने का बुरा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी हो सकता है। रुपये की वैल्यू और निर्यात प्रभावित हो सकता है।

चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद से क्रूड 5 दिनों में 6 डॉलर से ज्यादा टूटकर 58.50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया है। क्रूड का यह स्तर 2 महीने का निचला स्तर है। जानकारों के अनुसार अगर कोरोना वायरस के मामले और बढ़ते हैं, तो क्रूड 55 डॉलर से 56 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ सकता है।

न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का मार्च अनुबंध शुक्रवार को 52.23 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि सोमवार को 50 डॉलर प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे गिरकर 49.94 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर बीते सप्ताह शुक्रवार को बेंट क्रूड का अप्रैल अनुबंध 57.33 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि सप्ताह के आरंभ में सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 53.27 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था।

तेल विपणन कंपनियों ने रविवार को फिर डीजल के दाम में कटौती करके उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत दी, लेकिन पेट्रोल के भाव में बदलाव नहीं किया। इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में रविवार को डीजल की कीमत घटकर क्रमश: 64.70 रुपये, 67.02 रुपये, 67.80 रुपये और 68.32 रुपये प्रति लीटर हो गई। वहीं, पेट्रोल का दाम चारों महानगरों में बिना किसी बदलाव के क्रमश: 71.94 रुपये, 74.58 रुपये, 77.60 रुपये और 74.73 रुपये प्रति लीटर पर बना रहा। 

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