SwadeshSwadesh

बढ़ रही है सकल राज्य घरेलू उत्पाद की लागत

Update: 2019-03-20 05:38 GMT

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हैंडबुक से पता चला है कि पिछले दस साल के दौरान महाराष्ट्र में सकल राज्य घरेलू उत्पाद की कारखाने में मौजूदा लागत बेतहाशा ढंग से बढ़ी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्यूफैक्चरिंग, उद्योग, इन्फ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग और कृषि सेक्टर में सकल राज्य घरेलू उत्पाद की लागत पिछले दस साल में लगातार बढ़ी है। आरबीआई की ओर से सभी राज्यों की तुलनाकत्मक हैंडबुक रिपोर्ट 2018-19 जारी की गई है। रिज़र्व बैंक की ओर से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को लेकर व्यापक आंकड़ों को जारी किया जाता रहा है। यह हैंडबुक सामाजिक-आर्थिक ढांचागत अर्थव्यवस्थाओं पर फोकस करता है।

आरबीआई की हैंडबुक के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2011-12 में क्षेत्रीय सकल राज्य घरेलू उत्पाद लागत कृषि सेक्टर के लिए जहां 1,01,92,975 लाख रुपये थी, तो वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में यह लागत बढ़कर 1,39,59,813 लाख रुपये तक पहुंच गई। वित्त वर्ष 2014-15 में यह लागत 1,15,14,126 लाख रुपये रही थी, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में 1,17,56,392 लाख रुपये और वित्त वर्ष 2016-17 में 1,63,01,340 लाख रुपये हो गई थी। कृषि सेक्टर में बढ़ती लागत से किसानों के सामने कई तरह की समस्याएं पैदा हो गई हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 में कृषि सेक्टर में शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद की मौजूदा लागत जहां 96,15,252 लाख रुपये थी, वहीं वित्त वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 1,28,54,937 लाख रुपये हो गई। इसी तरह, वित्त वर्ष 2014-15 में शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद की मौजूदा लागत 1,06,61,654 लाख रुपये रही थी, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में 1,08,25,910 लाख रुपये और वित्त वर्ष 2016-17 में कृषि सेक्टर में शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद की मौजूदा लागत 1,50,11,140 लाख रुपये थी।

वित्तीय वर्ष 2011-12 में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सकल राज्य घरेलू उत्पाद की कारखाने में स्थिर लागत जहां 12,80,36,944 लाख रुपये थी, वह वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 19,59,92,033 लाख रुपये हो गई है। इसी तरह, वित्त वर्ष 2014-15 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद की कारखाने में स्थिर लागत 15,43,21,127 लाख रुपये रही थी, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में 16,60,38,690 लाख रुपये और वित्त वर्ष 2016-17 में 18,26,29,580 लाख रुपये हो गई। 

Similar News