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पूर्व-मुख्यमंत्रियों के बंगला खाली करने में देरी से सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

Update: 2018-07-24 04:06 GMT

नई दिल्ली। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगला खाली करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देर से अमल होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि सरकारी बंगले खाली करने में देरी क्यों की गई। एक स्वयंसेवी संगठन 'लोकप्रहरी' ने इसे लेकर याचिका दायर की थी, जिसमें मांग की गई है कि समय से बंगला खाली नहीं करने पर उन सभी पूर्व-मुख्यमंत्रियों पर अदालत की अवमानना का केस चलाया जाए। साथ ही बंगला खाली करने में हुई देरी की अवधि का किराया वसूला जाए।

पिछले 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले में रहने के हकदार नहीं है। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि एक बार मुख्यमंत्री अपना पद छोड़ दे तो वह आम आदमी के बराबर है। यूपी सरकार ने कानून में संशोधन कर जो नई व्यवस्था दी थी वो असंवैधानिक है। कोर्ट ने एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंस एंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया था जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का अधिकार दिया गया था।

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