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बैलिस्टिक K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण, पनडुब्बी से दुश्मन को मार गिराएगी

Update: 2020-01-20 05:09 GMT

नई दिल्ली। भारत ने रविवार को परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। आंध्र प्रदेश के तट से 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल से नौसेना की ताकत बढ़ेगी। मिसाइल को नौसेना की स्वदेशी आईएनएस अरिहंत-श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पर तैनात किया जाएगा।

परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बियों पर तैनात करने से पूर्व इस मिसाइल के कई और परीक्षणों से गुजरने की संभावना है। फिलहाल नौसेना के पास आईएनएस अरिहंत ही एकमात्र ऐसी पनडुब्बी है, जो परमाणु क्षमता से लैस है।

इस सबमरीन (पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली) मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। मिसाइल का परीक्षण दिन में समुद्र के अंदर मौजूद प्लेटफॉर्म से किया गया।

के-4 पानी के नीचे चलने वाली उन दो स्वदेशी मिसाइल में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है।

जब किसी मिसाइल के साथ दिशा बताने वाला यंत्र लगा दिया जाता है, तो वह बैलिस्टिक मिसाइल बन जाती है। इस मिसाइल को जब अपने स्थान से छोड़ा जाता है या दागा जाता है तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर जाकर गिरती है। ऐसी मिसाइलों में बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों को ले जाने की क्षमता होती है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि, और धनुष जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।

सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल थी ए4 : इतिहास में सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल नाजी जर्मनी ने 1930 से 1940 के मध्य में विकसित की थी। यह कार्य रॉकेट वैज्ञानिक वेन्हेर्र वॉन ब्राउन की देखरेख में हुआ था। यह सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल ए4 थी, जिसे दूसरे शब्दों में वी-2 रॉकेट के नाम से भी जाना जाता है। इसका परीक्षण तीन अक्तूबर 1942 को हुआ था।

के-4 की विशेषताएं

* 200 किलो वजनी परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम।

* दुश्मन के रडार पर मिसाइल आसानी से नहीं आती।

* पनडुब्बी से छोड़ी जा सकती है के-4 मिसाइल।

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