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सीएए के खिलाफ शाहीनबाग और जाफराबाद के बाद अब चांदबाग में भी प्रदर्शन, सडक़ पर बैठीं महिलाएं

Update: 2020-02-23 12:11 GMT

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जब से अस्तित्व में आया है तब से ही इसके खिलाफ आवाज भी उठाई जा रही है। शुरुआत में विरोधी दल मोदी सरकार के खिलाफ थे, लेकिन धीरे-धीरे आम लोग भी इसकी खिलाफत करने लगे हैं।

शाहीन बाग में 70 दिनों से भी ज्यादा वक्त हो चुका है, जहां महिलाओं का विरोध प्रदर्शन जारी है। अब विरोध की आग राजधानी के ही जाफराबाद और चांदबाग में भी पहुंच गई है। दोनों जगहों पर महिलाएं सडक़ पर बैठी हैं। इसकी वजह से सीलमपुर से यमुना विहार की ओर और वजीराबाद रोड से गाजियाबाद की तरफ जाने वाला ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है।

इससे पहले विरोधी प्रदर्शनकारी शनिवार देर रात बड़ी संख्या में दिल्ली के उत्तर पूर्व में स्थित जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर इकट्ठे हो गए। प्रदर्शनकारियों ने सीलमपुर को मौजपुर और यमुना विहार से जोडऩे वाले मार्ग संख्या 66 को अवरुद्ध कर दिया। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया और स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है।

प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मौके पर एक भी महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि यह नए नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन को और तेज करने के लिए है। एक प्रदर्शनकारी शादाब ने कहा कि यह प्रदर्शन सीएए, एनआरसी के खिलाफ और दलितों को आरक्षण की मांग के लिए है।

आंदोलन की अगुआई महिलाएं कर रही हैं और पुरुष सिर्फ उनका सहयोग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के तहत हमने सडक़ अवरुद्ध कर दी है और केंद्र जब तक यह कठोर कानून वापस नहीं ले लेता तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे।

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